लखीमपुर खीरी में वर्ष 2019-20 में धान खरीद में हुए घोटाले में प्रदेश सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है। इस मामले में लखीमपुर खीरी के जिला प्रबंधक पीसीयू और जिला प्रबंधक पीसीएफ के साथ ही सात खरीद केंद्रों के प्रभारी निलंबित कर दिए गए हैं। खरीद केंद्र प्रभारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के आदेश भी दिए गए हैं।
सहकारिता विभाग के अपर मुख्य सचिव एमवीएस रामीरेड्डी ने अनियमितता में दोषी पाए गए अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की जानकारी दी है। उन्होंने बताया है कि इस मामले में और भी जो लोग दोषी होंगे, सभी के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
पीसीयू के क्रय केंद्र गोला मंडी, चंदन चौकी, प्रीतमपुरवा, सांडा तथा नैनापुर के साथ ही पीसीएफ के क्रय केंद्र खैरहनी एट ढखेरवा व मुड़ा जवाहर के केंद्र प्रभारियों को निलंबित करने के साथ ही इनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने के निर्देश दिए गए हैं। विभागीय कार्यवाही भी होगी। इन क्रय केंद्रों के निरीक्षणीय व पर्यवेक्षणीय दायित्व जिन सहायक विकास अधिकारियों के पास थे, उन सभी को निलंबित करने की संस्तुति की गई है।
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इनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही की संस्तुति भी की गई है। लखीमपुर खीरी जिले के जिला प्रबंधक पीसीयू तथा जिला प्रबंधक पीसीएफ का निलंबन तथा विभागीय कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए हैं। इन क्रय केंद्रों का पर्यवेक्षणीय दायित्व निभाने वाले जिला सहकारी अधिकारी एवं सहायक आयुक्त व सहायक निबंधक को प्रशासनिक आधार पर लखीमपुर से स्थानांतरित कर उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी करने का निर्देश दिया गया है।
सातों क्रय केंद्र को दो साल के लिए गेहूं व धान खरीद करने से रोकते हुए ब्लैक लिस्ट किया गया है। पूर्व एमएलसी दिनेश सिंह ने धान खरीद में बड़े पैमाने पर घोटाला किए जाने की शिकायत मुख्यमंत्री से की थी। जिसके बाद शासन स्तर से इसकी जांच हुई और जांच में शिकायतें सही पाई गईं।
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शासन स्तर से कराए गए जांच में यह तथ्य सामने आया है कि इन सातों केंद्रों पर बड़ी संख्या में बिचौलियों व दलालों से धान की खरीद की गई। सरकार की मंशा के खिलाफ जो लाभ काश्तकारों को मिलना चाहिए था, वह दलालों को दिया गया। लखीमपुर खीरी जिले के करीब 400 काश्तकारों के नाम पर फर्जी तरीके से दलालों ने इन केंद्रों पर धान बेचे। सरकार का नियम है कि खरीद केंद्र से अधिकतम आठ किमी की दूरी तक के किसानों की उपज ही खरीदी जाए। जबकि इन केंद्रों पर खरीद केंद्र से 20 से 120 किमी. दूर तक के किसानों के नाम पर धान खरीदे गए। जांच में पता चला कि किसान धान बेचने गए ही नहीं थे। उन्होंने धान नहीं बल्कि अपने खेतों में गन्ना लगा रखा था। बताया तो यह भी जाता है कि कुछ सफेदपोश नेताओं ने सालों से बंद बड़ी समितियों और सहकारी संघ को चालू कराकर क्रय केंद्र बनवाने का काम किया था।