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हिसार के वैज्ञानिकों ने एक और उपलब्धि किया चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के नाम किया

Paddy Thresher

Paddy Thresher

चण्डीगढ़। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के वैज्ञानिकों ने एक और उपलब्धि को विश्वविद्यालय के नाम किया है। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई ड्रायर, डी हस्कर और पॉलिशर के साथ एकीकृत धान थ्रेशर (Paddy Thresher) मशीन को भारत सरकार के पेटेंट कार्यालय की ओर से पेटेंट मिल गया है।

विश्वविद्यालय के एक प्रवक्ता ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि विश्वविद्यालय कृषि अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित यह मशीन (Paddy Thresher) किसानों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगी। मशीन का आविष्कार महाविद्यालय के फार्म मशीनरी और पावर इंजीनियरिंग विभाग किया गया। इस मशीन को भारत सरकार की ओर से इसका प्रमाण-पत्र मिल गया है जिसकी पेटेंट संख्या 536920 है।

उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय को लगातार मिल रहीं उपलब्धियों के लिए यहां के वैज्ञानिक बधाई के पात्र हैं। इस तरह की तकनीकों के विकास में सकारात्मक प्रयासों को विश्वविद्यालय हमेशा प्रोत्साहित करता रहता है। उन्होंने कहा कि चावल लोगों के मुख्य खाद्य पदार्थों में शामिल है। अब किसान खेत में ही मशीन (Paddy Thresher) का उपयोग करके धान के दानों को फसल से अलग कर सकेंगे, सुखा सकेंगे, भूसी निकाल सकेंगे (भूरे चावल के लिए) और पॉलिश कर सकेंगे। पहले किसानों को धान से चावल निकालने के लिए मिल में जाना पड़ता था। अब किसान अपने घर के खाने के लिए भी ब्राउन राइस (भूरे चावल) निकाल सकेगे।

धान थ्रेशर की मुख्य विशेषताओं पर उन्होंने बताया कि यह मशीन (Paddy Thresher) 50 एचपी ट्रैक्टर के लिए अनुकूल है। ड्रायर में 18 सिरेमिक इंफ्रारेड हीटर (प्रत्येक 650 वॉट) शामिल है। इस मशीन की चावल उत्पादन क्षमता 150 किलोग्राम/घंटा तक पहुंच जाती है।

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