नई दिल्ली। कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने की पाकिस्तान की कोशिश चीन द्वारा इस मामले पर चर्चा के लिए बुलाई गई संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक के बेनतीजा रहने के बाद एक बार फिर नाकाम रही। बंद कमरे में हुई बैठक में न तो चर्चा का कोई रिकॉर्ड मेनटेन किया गया और न ही अपना कोई निर्णय जाहिर किया गया जिसके बाद विदेश मंत्रालय ने कहा कि हमारे आंतरिक मामलों में चीन के हस्तक्षेप को हम दृढ़ता से खारिज करते हैं।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी .एस. तिरुमूर्ति ने एक ट्वीट कर कहा, “पाकिस्तान का एक और प्रयास विफल रहा। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आज की बैठक बंद कमरे में हुई थी, अनौपचारिक थी, इसका कोई रेकॉर्ड नहीं रखा गया और इसका कोई परिणाम नहीं निकला। लगभग सभी देशों ने माना कि जम्मू-कश्मीर एक द्विपक्षीय मसला है और सुरक्षा परिषद के समय और ध्यान का हकदार नहीं है।”
विधायकों के बदलते रूख ने बढ़ाई कांग्रेस की समस्या, पायलट खेमे से समझौते के प्रयास तेज
पाकिस्तान के करीबी सहयोगी चीन ने ‘एनी अदर बिजनेस’ के तहत बुधवार को जम्मू-कश्मीर मामले पर चर्चा के लिए सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाई थी। भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान निरस्त करने के एक साल पूरा होने के दिन यह बैठक बुलाई गई।
सूत्रों ने बताया कि अमेरिका ने यह बात उठाई और परिषद के कई सदस्यों ने इसका समर्थन करते हुए स्पष्ट किया कि कश्मीर मुद्दा संयुक्त राष्ट्र निकाय में चर्चा के लिए नहीं है और यह भारत तथा पाकिस्तान का द्विपक्षीय मामला है। पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लेने और उसके दो केन्द्र शासित प्रदेशों में बांटने के भारत सरकार के फैसले के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल करने की कई नाकाम कोशिश कर चुका है।
गौरतलब है कि भारत ने पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने और राज्य को दो केन्द्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित करने की घोषणा की थी।
अखंड सौभाग्य के लिए महिलाएं इस विधि से रखें कजरी तीज का व्रत
भारत ने जम्मू कश्मीर के 2019 में किये गये पुनर्गठन को अवैध एवं अमान्य बताने को लेकर बुधवार को चीन की आलोचना करते हुए कहा कि इस विषय पर बीजिंग का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है और उसे दूसरे देशों के अंदरूनी मामलों में टिप्पणी नहीं करनी चाहिए।
चीन, जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के विरोध में रहा है और उसने लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने को लेकर नयी दिल्ली की आलोचना की है। चीन लद्दाख के कई हिस्सों पर दावा करता है।