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कुलभूषण जाधव के सभी कानूनी रास्तों को बंद कर रहा है पाक : विदेश मंत्रालय

नई दिल्ली। भारत ने गुरुवार को आरोप लगाया कि मौत की सजा का सामना कर रहे भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव के सभी कानूनी रास्तों को पाकिस्तान बंद कर रहा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने इस मामले से निपटने में उचित रुख नही अपनाया है। भारत इस विषय में सभी उपलब्ध विकल्प तलाश रहा है।

उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से किए गए संवाददाता सम्मेलन में कहा कि निर्बाध एवं बेरोक-टोक राजनयिक संपर्क और संबद्ध दस्तावेजों के अभाव में, एक अंतिम उपाय के तहत, भारत ने 18 जुलाई को एक याचिका दायर करने की कोशिश की।’

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श्रीवास्तव ने कहा, ‘हालांकि, हमारे पाकिस्तानी वकील ने सूचना दी कि पावर ऑफ अटॉर्नी और जाधव के मामले से जुड़े सहायक दस्तावेजों के अभाव में पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की जा सकती।’ पाकिस्तान ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि अपनी मौत की सजा के खिलाफ जाधव द्वारा एक पुनर्विचार याचिका दायर करने की अंतिम तारीख 20 जुलाई है। उन्हें यह सजा पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने सुनाई थी।

पाकिस्तान सरकार ने एकतरफा कार्रवाई करते हुए बुधवार को इस्लामाबाद हाई कोर्ट में एक अर्जी देकर जेल में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के लिए कानूनी प्रतिनिधि (वकील) की नियुक्ति करने की मांग की थी। लेकिन, संघीय अध्यादेश के तहत इस मामले में अर्जी देने से पहले पाकिस्तान के कानून एवं न्याय मंत्रालय ने भारत सरकार सहित मुख्य पक्षों से विचार नहीं किया।

भारतीय नौसेना के रिटायर्ड 50 वर्षीय अधिकारी जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जासूसी और आतंकवाद के जुर्म में अप्रैल 2017 में मौत की सजा सुनाई थी। भारत इस मामले को अंतरराष्ट्रीय अदालत ले गया और वहां जाधव को राजनयिक पहुंच नहीं दिए जाने और मौत की सजा को चुनौती दी थी।

हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत ने जुलाई 2019 में अपने फैसले में कहा कि पाकिस्तान जाधव को दोषी करार दिए जाने और उसकी सजा पर प्रभावी तरीके से विचार करे और बिना किसी देरी के भारत को राजनयिक पहुंच दे। पाकिस्तान ने इस संदर्भ में 20 मई को एक अध्यादेश पारित किया जिसके तहत, अध्यादेश आने से 60 दिन के भीतर सैन्य अदालत के फैसले को एक आवेदन देकर इस्लामाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। पाकिस्तान सरकार का दावा है कि जाधव ने अपने फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर करने से इंकार कर दिया है।

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