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अफगानिस्तान के साथ अपनी ही मुद्रा में व्यापार करेगा पाकिस्तान

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तालिबान की सरकार को पाकिस्तान शुरू से ही खुलकर समर्थन दे रहा है। अब पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के साथ अपनी मुद्रा में ही व्यापार शुरू करने की बात कही है।

पाकिस्तान के केंद्रीय वित्त मंत्री शौकत तारिन ने गुरुवार को बताया कि उनकी सरकार ने अफगानिस्तान के साथ पाकिस्तानी मुद्रा में व्यापार करने का फैसला किया है। तारिन ने कहा कि अफगानिस्तान के पास डॉलर्स की कमी है इसलिए पाकिस्तान अपनी मुद्रा में ही व्यापार करेगा।

शौकत ने कहा, अफगानिस्तान की स्थिति पर लगातार नजर बनी हुई है। पाकिस्तान अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में मदद करने के लिए वहां एक टीम भी भेज सकता है। दरअसल, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष समेत कई संस्थाओं ने अफगानिस्तान को दी जाने वाली फंडिंग पर रोक लगा दी है और उसकी संपत्तियों को भी फ्रीज कर दिया है जिससे तालिबान को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है।

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वहीं, पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की हालत बहुत ठीक नहीं है। पाकिस्तानी वित्त मंत्री तारिन ने कहा कि पाकिस्तान को कुछ हफ्तों में अफगानिस्तान के साथ व्यापार का परिणाम दिखने लगेगा। उन्होंने कहा कि सरकार पाकिस्तान की जीडीपी ग्रोथ को मौजूदा वित्तीय वर्ष में 4 फीसदी से बढ़ाकर 4.8 फीसदी करना चाहती है। जब तारिन से पाकिस्तानी मुद्रा की खस्ता हालत के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि साल 2018-19 में पाकिस्तानी रुपये के अवमूल्यन से अर्थव्यवस्था पर बुरा असर हुआ। फिलहाल, एक डॉलर की कीमत 169 पाकिस्तानी रुपये है।

पाकिस्तान के कई मंत्री तालिबान के समर्थन में खुलकर बोल चुके हैं। दुनिया भर के देश जब अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार को मान्यता देने को लेकर संशय में हैं, पाकिस्तान के मंत्री तालिबान सरकार के साथ दोस्ती मजबूत करने के पक्ष में हैं। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने गुरुवार को रॉयटर्स से बातचीत में कहा कि अफगानिस्तान की संपत्तियों को अनफ्रीज कर दिया जाना चाहिए ताकि उनका इस्तेमाल हो सके।

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कुछ ही दिन पहले, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई चीफ फैज हमीद काबुल पहुंचे थे और उसके एक दिन बाद ही तालिबान ने अपनी अंतरिम सरकार का ऐलान कर दिया। कई रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि पाकिस्तान के वित्त मंत्री ने तालिबान सरकार को तकनीकी मदद करने का आश्वासन दिया है। तालिबान के सत्ता में आने के बाद तकनीकी दक्षता रखने वाले कई लोग अफगानिस्तान छोड़कर जा चुके हैं।

अफगानिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री मोहम्मद हसन अंखुद ने अफगानिस्तान के पूर्व अधिकारियों से देश लौटने की अपील की है। अखुंद ने अलजजीरा को दिए एक इंटरव्यू में कहा है कि देश लौटने वाले लोगों को किसी तरह का कोई खतरा नहीं होगा और तालिबान उनकी सुरक्षा की गारंटी लेगा। मोहम्मद हसन अखुंद ने कहा, हमने अफगानिस्तान में इस ऐतिहासिक दिन के लिए तमाम जानें गंवाईं और बहुत नुकसान उठाए. अब देश में खून-खराबे और संघर्ष का दौर खत्म हो गया है। हम किसी से बदला नहीं लेने जा रहे हैं. हमारा आंदोलन पूरी तरह से नियंत्रित और अनुशासित है। हमने किसी को उसके पुराने रुख की वजह से नुकसान नहीं पहुंचाया है।

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