नई दिल्ली. 14 अगस्त 1947 को अस्तित्व में आए पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के साथ भारत की अब तक 4 बार जंग हो चुकी है. जिसमें पहला 1947 का भारत-पाक युद्ध, जिसे प्रथम कश्मीर युद्ध भी कहा जाता है, दूसरा 1965, तीसरा 1971 का युद्ध जिसमें पूरी दुनिया ने भारत के शौर्य को देखा. इस युद्ध में पाक के दो हिस्से हुए और एक हिस्सा बांग्लादेश बना. चौथा और अंतिम युद्ध था कारगिल, जिसमें हमेशा की तरह धोखे से कारगिल (Kargil War) की चोटियों पर कब्जा करने वाले पाकिस्तान को फिर से मुंह की खानी पड़ी.
हालांकि जानकार बताते हैं इस गुपचुप हमले में पाक आर्मी को शुरुआत में बढ़त मिली, लेकिन भारतीय सेना के जांबाजों ने असंभव को संभव करते हुए हारी हुई बाजी पलट दी. इस जंग को छेड़ने के पीछे क्या थे पाकिस्तान के मंसूबे, कैसे मिली शिकस्त, जानिए आज कारगिल दिवस के 22 साल पूरे होने पर भारतीय की रणनीति…
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पाक के धोखे को ऐसे समझा था भारतीय सेना ने और दी थी मात
जानकार बताते हैं कि 8 मई 1999 का दिन था जब, पाकिस्तानी सैनिक सबसे पहले कारगिल इलाके (Kargil Area) में भारतीय चरवाहों को दिखाई दिए. चरवाहों ने ये बात भारतीय सेना (Indian Army) को बताई. सेना के जवानों ने इलाके का निरीक्षण किया और जान गए कि पाकिस्तानी भारतीय सीमा में घुस आए हैं. स्थिति भांप लेने के बाद इंडियन आर्मी ने जवाबी कार्रवाई में फायरिंग कर दी.
हैरानी की बात ये थी कि पाकिस्तान ने कोई जवाबी कार्रवाई नहीं की. दरअसल, पाक की चाल कुछ और थी. पाकिस्तानी सेना के तत्कालीन जनरल परवेज मुशर्रफ ने पहले से ही खुद रेकी की थी कि उस समय यहां इंडियन आर्मी रोजाना वहां पेट्रोलिंग के लिए नहीं जाती थी. साथ ही ये इलाका नेशनल हाइवे-1-D के एकदम करीब है और यह रास्ता लद्दाख से कारगिल को श्रीनगर और देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है. यह रास्ता सेना के लिए अहम सप्लाई रूट है. ये इलाका दुश्मन के कब्जे में जाने का मतलब सेना के लिए सप्लाई का बुरी तरह से प्रभावित होना था.
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पाक सेना ने इस सूनसान इलाके और मौसम का फायदा उठाकर यहां घुसपैठ करने की योजना बनाई तो उसका पहला लक्ष्य टाइगर हिल पर कब्जा करना था. वहीं भारतीय सेना ने एक कदम आगे जाकर तय किया था कि किसी भी हाल में टाइगर हिल पर कब्जा करना है. चूंकि यह सबसे मुश्किल काम था इसलिए पाकिस्तानी सेना ने भी सोचा नहीं था की भारत ऐसा कदम उठा लेगा. भारतीय सेना ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए करीब 18,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित टाइगर हिल को जीत लिया.
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टाइगर हिल पर जीत एक बड़ा टर्निंग प्वाइंट था और इसी के बाद से ऊंचाई पर बैठकर बढ़त बनाकर चल रहे पाकिस्तान के मंसूबे पस्त हो गए. भारतीय सेना के लिए पूरा ऑपरेशन बहुत आसान हो गया और पहले प्वाइंट 4965, फिर सांदो टॉप, जुलु स्पर, ट्राइजंक्शन सभी भारतीय रेंज में आ गए थे. उसके बाद जो हुआ उसे पूरी दुनिया आज भी सलाम करती है.
जब दिलीप कुमार ने नवाज शरीफ को कर दिया हक्का-बक्का कारगिल युद्ध का एक किस्सा बड़ा ही मशहूर है. दरअसल, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को पाकिस्तानी सेना के घुसपैठ के बारे में पता चला तो उन्होंने पहले खुद पाकिस्तानी के उस समय के पीएम से बात करके नाराजगी जाहिर की. उसके बाद उन्होंने नवाज को फोन रखने से रोका और कहा कि जरा रुकिए, अब मैं आपसे किसी की बात करा रहा हूं.
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जब तक नवाज शरीफ कुछ समझते, उनके कानों में दिलीप कुमार की आवाज गूंज रही थी जिसे सुनकर नवाज शरीफ हक्का-बक्का रह गए थे. फोन पर अपनी बात को बढ़ाते हुए दिलीप कुमार बोले मियां साहब! आप हमेशा भारत-पाकिस्तान के बीच शांति के मुद्दे पर अडिग रहे हैं, आप ऐसा करेंगे ऐसी उम्मीद न थी. इस वजह से भारत के मुसलमान अपने आपको असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और लोग अपना घर तक छोड़ने की सोच रहे हैं. ऐसे हालातों से निपटने के लिए कुछ कीजिए.