फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को फाल्गुन अमावस्या कहा जाता है. इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं. इस बार फाल्गुन अमावस्या पर एक बड़ा ही दुर्लभ संयोग बन रहा है. फाल्गुन अमावस्या के साथ पंचक की शुरुआत हो रही है. चूंकि ये पंचक (Panchak) सोमवार से शुरू हो रहा है, इसलिए इसे राज पंचक कहा जाएगा. आइए जानते हैं कि फाल्गुन अमावस्या के साथ शुरू हो रहे पंचक में कौन से कार्य वर्जित होते हैं.
क्या होते हैं पंचक (Panchak)?
पंचक पांच दिन की वो अवधि होती है, जब चंद्रमा धनिष्ठा नक्षत्र के तीसरे चरण में प्रवेश करता है. इसके बाद जब चंद्रमा शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती नक्षत्र के चार पदों पर गोचर करता है तो इसे पंचक कहा जाता है. सरल भाषा में कहें तो जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशि में गोचर करता है तो इसे पंचक कहते हैं.
ज्योतिष शास्त्र में पंचक की अवधि को बहुत ही अशुभ माना जाता है. ऐसा कहते हैं कि पंचक काल में यदि किसी इंसान की मौत हो जाए तो उसकी मृत्यु के बाद घर-परिवार के सदस्यों या फिर उस क्षेत्र के लोगों पर मृत्यु का संकट मंडराने लगता है. इसलिए पंचक को बहुत ही अशुभ मानते हैं. हालांकि सारे पंचक अशुभ नहीं होते हैं. राज पंचक की शुरुआत सोमवार से होती है और इस पंचक को उन सभी कार्यों के लिए शुभ माना जाता है जो दैनिक जीवन में किए जा सकते हैं.
जबकि रोग पंचक (Panchak) , मृत्यु पंचक और चोर पंचक जातकों की मुश्किल बढ़ाने का काम करते हैं. जब ये पंचक लगते हैं तो कुछ विशेष कार्य भूलकर भी नहीं करने चाहिए.
- शादी-विवाह– पंचक का अशुभ काल शुरू होने के बाद विवाह, मुंडन और नामकरण संस्कार आदि कार्यक्रम वर्जित माने जाते हैं. पंचक में ऐसे कार्यों को टाल देना ही बेहतर होता है.
- उधार से बचें– पंचक काल में व्यापार के लिए कभी पैसे उधार नहीं लेने चाहिए. लेकिन अगर ऐसा करना जरूरी हो तो कार्य के आरंभ से पहले माता लक्ष्मी की पूजा करें.
- दक्षिण दिशा में यात्रा से परहेज– पंचक काल में लोगों को दक्षिण दिशा में यात्रा करने से बचना चाहिए. अगर किसी व्यक्ति को दक्षिण दिशा में शनिवार के दिन यात्रा करनी हो तो पहले संकटमोचन हनुमान जी की पूजा जरूर करें. इसके बाद ही यात्रा प्रारंभ करें.
- लकड़ी से जुड़ा कार्य– पंचक लगते ही लकड़ी से जुड़े कार्यों को करने की मनाही होती है. इसलिए इस अवधि में ऐसा कोई भी कार्य करना से बचें. ऐसा करने से आपके घर में संकट आ सकता है.
- अंतिम संस्कार विधि– यदि पंचक में किसी इंसान की मृत्यु हो जाए तो परिवार के सदस्यों की रक्षा के लिए दाह संस्कार के वक्त आटे, बेसन और कुश (घास) से 5 पुतले बनाकर मृतक के साथ उनका अंतिम संस्कार करना चाहिए. इससे परिवार के अन्य सदस्यों के सिर से खतरा टल जाता है.