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पंडित दीनदयाल की पुण्यतिथि : पीएम मोदी, बोले – हमारी राजनीति में राष्ट्रनीति सर्वोपरि

पंडित दीनदयाल की पुण्यतिथि Pandit Deendayal's death anniversary

पंडित दीनदयाल की पुण्यतिथि

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को पार्टी के विचारक दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि पर भाजपा सांसदों को संबोधित किया। पंडित दीनदयाल का जन्म 25 सितंबर 1916 को हुआ था। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य थे। वे भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे।

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वे एक समावेशित विचारधारा के समर्थक थे जो एक मजबूत और सशक्त भारत चाहते थे। राजनीति के अलावा उनकी साहित्य में भी गहरी रुचि थी। उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में कई लेख लिखे, जो विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए। उन्होंने एकात्म मानववाद नामक विचारधारा दी थी जिसके तहत विभिन्न संस्कृतियां आपस में मिलकर एख मजबूत राष्ट्र का निर्माण करें।

पीएम मोदी ने कहा कि हमारी पार्टी ने अपनी सरकारों में ऐसी कितनी ही उपलब्धियां हासिल की हैं, जिन पर आपको गर्व होगा। आने वाली पीढ़ियों को गर्व होगा। जो निर्णय देश में बहुत कठिन माने जाते थे। राजनीतिक रूप से मुश्किल माने जाते थे, हमने वह निर्णय लिए, और सबको साथ लेकर लिए।

उन्होंने कहा कि हमें गर्व होता है कि हम अपने महापुरुषों के सपनों को पूरा कर रहे हैं। हमें गर्व है कि हमारी विचारधारा देशभक्ति को ही अपना सब कुछ मानती है। हमारी विचारधारा राष्ट्र प्रथम, नेशन फर्स्ट की बात करती है। पीएम मोदी ने कहा कि लोकल इकॉनमी पर विजन इस बात का प्रमाण है कि उस दौर में भी उनकी सोच कितनी प्रैक्टिकल और व्यापक थी। आज ‘वोकल फॉर लोकल’ के मंत्र से देश इसी विजन को साकार कर रहा है। आज आत्मनिर्भर भारत अभियान देश के गांव-गरीब, किसान, मजदूर और मध्यम वर्ग के भविष्य निर्माण का माध्यम बन रहा है।

आज भारत में डिफेंस कॉरिडॉर बन रहे हैं, स्वदेशी हथियार बन रहे हैं, और तेजस जैसे फाइटर जेट्स भी बन रहे हैं। हथियार के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता से अगर भारत की ताकत और भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है, तो विचार की आत्मनिर्भरता से भारत आज दुनिया के कई क्षेत्रों में नेतृत्व दे रहा है। आज भारत की विदेश नीति दबाव और प्रभाव से मुक्त होकर, राष्ट्र प्रथम के नियम से चल रही है। 1965 में भारत पाक युद्ध के दौरान भारत को विदेशों से हथियारों पर निर्भर होना पड़ा था। दीनदयाल जी ने कहा था कि- हमें सिर्फ अनाज में ही नहीं बल्कि हथियार और विचार के क्षेत्र में भी भारत को आत्मनिर्भर बनाना होगा।

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कोरोनाकाल में देश ने अंत्योदय की भावना को सामने रखा, और अंतिम पायदान पर खड़े हर गरीब की चिंता की। आत्मनिर्भरता की शक्ति से देश ने एकात्म मानव दर्शन को भी सिद्ध किया, पूरी दुनिया को दवाएं पहुंचाईं, और आज वैक्सीन पहुंचा रहा है। सामाजिक जीवन में एक नेता को कैसा होना चाहिए, भारत के लोकतन्त्र और मूल्यों को कैसे जीना चाहिए, दीनदयाल जी इसके भी बहुत बड़ा उदाहरण हैं। एक ओर वो भारतीय राजनीति में एक नए विचार को लेकर आगे बढ़ रहे थे, वहीं दूसरी ओर वो हर एक पार्टी, हर एक विचारधारा के नेताओं के साथ भी उतने ही सहज रहते थे। हर किसी से उनके आत्मीय संबंध थे।

पीएम मोदी ने कहा कि एकात्म मानव दर्शन का उनका विचार मानव मात्र के लिए था। इसलिए, जहां भी मानवता की सेवा का प्रश्न होगा, मानवता के कल्याण की बात होगी, दीनदयाल जी का एकात्म मानव दर्शन प्रासंगिक रहेगा। उन्होंने कहा कि मेरा अनुभव है और आपने भी महसूस किया होगा कि हम जैसे-जैसे दीनदयाल के बारे में सोचते हैं, बोलते हैं, सुनते हैं, उनके विचारों में हमें हर बार एक नवीनता का अनुभव होता है।

पीएम मोदी ने कहा कि आप सबने दीनदयाल जी को पढ़ा भी है और उन्हीं के आदर्शों से अपने जीवन को गढ़ा भी है। इसलिए आप सब उनके विचारों से और उनके समर्पण से भलीभांति परिचित हैं। उन्होंने बताया कि आज हम सब दीनदयाल उपाध्याय जी की पुण्यतिथि पर अनेक चरणों मे अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए एकत्र हुए हैं। पहले भी अनेक अवसरों पर हमें दीनदयाल जी से जुड़े कार्यक्रमों में शामिल होने, विचार रखने और आने वरिष्ठ जनों के विचार सुनने का अवसर मिलता रहा है।

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