हिंदू धर्म में हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि का विशेष महत्व माना गया है, क्योंकि यह तिथि जगत के पालनहार विष्णु जी को समर्पित होती है। पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi) के नाम से जाना जाता है। इस बार पापांकुशा एकादशी 3 अक्तूबर 2025 को मनाई जाएगी। इस एकादशी को पापों का नाश करने वाली एकादशी भी कहा जाता है। इस लेख में हम आपको बताएंगे पापांकुशा एकादशी के महत्व के बारे में।
पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi) का महत्व
पापों से मुक्ति:- पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi) व्रत करने से व्यक्ति के सारे पाप मिट जाते हैं और उसे यमलोक में कष्ट नहीं भोगना पड़ता।
मन की शुद्धि:- सच्चे मन से पूजा करने से मन शुद्ध होता है और गलत कर्मों से छुटकारा मिलता है।
सुख और समृद्धि:- इस व्रत को करने से भक्त को सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
मोक्ष की प्राप्ति:- इस एकादशी के व्रत का पालन करने से अंत में व्यक्ति स्वर्ग और मोक्ष को प्राप्त होता है।
चंद्रमा के अशुभ प्रभाव से मुक्ति:- पापांकुशा एकादशी का व्रत चंद्रमा के अशुभ प्रभावों को भी दूर करता है।
पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi) के दिन क्या करें?
भगवान विष्णु की पूजा:- पापांकुशा एकादशी के इस दिन भगवान विष्णु के पदनाभ स्वरूप की आराधना की जाती है।
व्रत रखें:- पापांकुशा एकादशी का व्रत रखने वाले को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और वह पुण्य प्राप्त करता है।
दान करें:- पापांकुशा एकादशी ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान करना चाहिए।