अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi) पड़ रही है जिसका पुराणों में बहुत महत्व बताया गया हैं। इसके नाम से ही पता चलता हैं कि इस दिन किए गए व्रत से पापों का नाश होता हैं और यह मनुष्य को मोक्ष प्रदान करती हैं। इस दिन की गई भगवान विष्णु की पूजा से मरने के बाद यमलोक में मिलने वाली यातनाओं से मुक्ति मिलती हैं। आज इस कड़ी में हम आपको पापांकुशा एकादशी के शुभ मुहूर्त, व्रत विधि और महत्व से जुड़ी जानकारी देने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।
ऐसे रखा जाता है एकादशी (Papankusha Ekadashi) का व्रत
शास्त्रों में बताया गया है कि एकादशी (Papankusha Ekadashi) का दशमी तिथि की शाम से ही आरंभ माना जाता है। यानी व्रत रखने वालों को दशमी तिथि की शाम से ही नियम संयम पालन शुरू कर देना चाहिए। उसके अगले दिन सुबह सूर्य को अर्घ्य देकर विष्णु भगवान की पूजा शुरू करनी चाहिए और व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए। एकादशी के अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण किया जाता है।
पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi) व्रत कब है
एकादशी तिथि 13 अक्टूबर 2024 को सुबह 09 बजकर 08 मिनट से प्रारंभ होगी और 14 अक्टूबर 2024 को सुबह 06 बजकर 41 मिनट पर समाप्त होगी। उदयातिथि में पापांकुशा एकादशी व्रत 13 अक्टूबर 2024, रविवार को रखा जाएगा।
पापांकुशा एकादशी व्रत का पारण 14 अक्टूबर 2024 को किया जाएगा। व्रत पारण का शुभ मुहूर्त 14 अक्टूबर को दोपहर 01 बजकर 15 मिनट से दोपहर 03 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। पारण तिथि के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय सुबह 11 बजकर 56 मिनट है।
पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi) के दिन बन रहे पूजन के ये शुभ मुहू्र्त-
ब्रह्म मुहूर्त- 04:40 ए एम से 05:30 ए एम
प्रातः सन्ध्या- 05:05 ए एम से 06:20 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11:43 ए एम से 12:29 पी एम
विजय मुहूर्त- 02:02 पी एम से 02:48 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 05:52 पी एम से 06:17 पी एम
अमृत काल -05:09 पी एम से 06:39 पी एम
रवि योग- 06:20 ए एम से 02:51 ए एम, अक्टूबर 14
पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi) का महत्व
साल भर में पड़ने वाली सभी एकादशी का अपना महत्व होता है। इसी प्रकार से पापांकुशा एकादशी भी बहुत खास मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने वाले व्यक्ति नरक से दूर रहते हैं और उन्हें यमलोक में किसी भी प्रकार की यातनाएं नहीं सहन करनी पड़ती हैं। इस व्रत को करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। व्रत करने वाले लोगों को एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि उन्हें दशमी के दिन से ही गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर की दाल का सेवन बंद कर देना चाहिए।
पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi) व्रत की पूजाविधि
– सबसे पहले सुबह भोर में ही उठकर स्नान कर लें।
– उसके बाद पीले वस्त्र धारण करें और तुलसी को कच्चे दूध से सीचें।
– उसके बाद भगवान विष्णु का गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी से अभिषेक करें।
– पुष्प, जनेऊ, तुलसी दल चढ़ाएं। अगर आप व्रत नहीं भी करते हैं तो भी इस विधि से पूजा करें। उसके बाद आरती करें।
– पूजा करने के बाद भगवान विष्णु को पीली मिठाइयों का भोग लगा सकते हैं। भोग में तुलसी के पत्ते जरूर डालें। भगवान विष्णु के साथ इस दिन माता लक्ष्मी का भी स्मरण करें।