हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है और हर एकादशी का व्रत विधि-विधान से करने पर इसका फल भी जरूर मिलता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पापमोचनी एकादशी (Papmochani Ekadashi) व्रत रखा जाता है। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, इस साल पापमोचनी एकादशी व्रत 05 अप्रैल को है। पौराणिक मान्यता है कि इस एकादशी व्रत पर यदि जगत के पालनहार भगवान विष्णु के साथ धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है तो जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके अलावा यदि गलती से भी कुछ पाप कर बैठे हैं तो इन बुरे कर्मों से भी मुक्ति मिल जाती है।
पापमोचनी एकादशी (Papmochani Ekadashi) पर पूजा मुहूर्त
हिंदू पंचांग के मुताबिक, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 04 अप्रैल को शाम 04.14 बजे शुरू होगी और अगले दिन 05 अप्रैल को दोपहर 01.28 बजे खत्म होगी। उदया तिथि मान के अनुसार 05 अप्रैल को पापमोचनी एकादशी मनाई जाएगी।
पापमोचनी एकादशी (Papmochani Ekadashi) की व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार राजा मांधाता ने लोमश ऋषि से सवाल किया कि गलती से हुए पापों से मुक्ति कैसे मिल सकती है। तब लोमश ऋषि ने बताया कि एक बार च्यवन ऋषि के पुत्र मेधावी तपस्या कर रहे थे और इस दौरान मंजुघोषा नाम की अप्सरा मेधावी पर मोहित हो गई।
मंजुघोषा ने मेधावी को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन सफल नहीं हुई। आखिरकार उसने कामदेव की मदद से मेधावी को अपनी ओर आकर्षित कर लिया। इसके बाद मेधावी ऋषि महादेव की तपस्या की करना भूल गए।
कुछ समय बाद मेधावी ऋषि को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने मंजुघोषा को दोषी माना और उसे पिशाचिनी होने का श्राप दिया। इसके बाद अप्सरा मंजुघोषा ने बहुत बार माफी मांगी, तब मेधावी ऋषि ने पापों से मुक्ति के लिए चैत्र महीने की पापमोचनी एकादशी व्रत करने की विधि बताई।
मंजुघोषा ने विधिपूर्वक पापमोचनी एकादशी (Papmochani Ekadashi) का व्रत किया और अपने पापों से मुक्ति पाई। इस व्रत के प्रभाव से मंजुघोषा एक बार फिर अप्सरा बन गई और स्वर्ग में चली गई।