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Param Ekadashi : 13 अक्तूबर को अधिक मास की आखिरी एकादशी

Dev Uthani Ekadashi

Dev Uthani Ekadashi

धर्म डेस्क। परम एकादशी अधिक मास की आखिरी एकादशी है। दरअसल पुरुषोत्तम मास कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को परम एकादशी के नाम से जाना जाता है। परम एकादशी व्रत 13 अक्तूबर को रखा जाएगा।

धार्मिक मान्यता के अनुसार इस एकादशी व्रत को करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और इसके साथ ही दुर्लभ सिद्धियों की प्राप्ति भी होती है। इस एकादशी में स्वर्ण दान, विद्या दान, अन्न दान, भूमि दान और गौदान करने से जातकों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

धार्मिक शास्त्रों में परम एकादशी भगवान विष्णु के भक्तों को परम सुख देने वाली मानी गई हैं। कहते हैं कि इस एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है। अधिक मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली परम एकादशी का व्रत करने वाले जातकों को बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है।

बताया जाता है कि बैकुंठ धाम की प्राप्ति के लिए ऋषि-मुनि और संत आदि हजारों वर्षों तक तपस्या करते हैं। लेकिन एकादशी का व्रत इतना अधिक प्रभावशाली है कि इसके माध्यम से भी बैकुंठ धाम की प्राप्ति संभव है।

परम एकादशी शुभ मुहूर्त (Param Ekadashi Shubh Muhurat)

परम एकादशी व्रत विधि (Parma Ekadashi vrat vidhi)

परम एकादशी व्रत कथा

प्राचीन काल में सुमेधा नामक एक ब्राह्मण रहता था। उसकी स्त्री का नाम पवित्रा था। वह परम सती और साध्वी थी। वे दरिद्रता और निर्धनता में जीवन निर्वाह करते हुए भी परम धार्मिक थे और अतिथि सेवा में तत्पर रहते थे। एक दिन गरीबी से दुखी होकर ब्राह्मण ने परदेश जाने का विचार किया, किंतु उसकी पत्नी ने कहा- ‘’स्वामी धन और संतान पूर्वजन्म के दान से ही प्राप्त होते हैं, अत: आप इसके लिए चिंता ना करें।’’

एक दिन महर्षि कौडिन्य उनके घर आए। ब्राह्मण दंपति ने तन-मन से उनकी सेवा की। महर्षि ने उनकी दशा देखकर उन्हें परमा एकादशी का व्रत करने को कहा। उन्होंने कहा- ‘’दरिद्रता को दूर करने का सुगम उपाय यही है कि, तुम दोनों मिलकर अधिक मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत तथा रात्रि जागरण करो। इस एकादशी के व्रत से यक्षराज कुबेर धनाधीश बना है, हरिशचंद्र राजा हुआ है।’’

ऐसा कहकर मुनि चले गए और सुमेधा ने पत्नी सहित व्रत किया। प्रात: काल एक राजकुमार घोड़े पर चढ़कर आया और उसने सुमेधा को सर्व साधन, संपन्न, सर्व सुख समृद्ध कर एक अच्छा घर रहने को दिया। इसके बाद उनके समस्त दुख दर्द दूर हो गए।

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