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Paris Paralympics: शूटर अवनि ने रचा इतिहास, भारत को दिलाया पहला गोल्ड

Avani Lekhara

Avani Lekhara

Paris Paralympics 2024 के दूसरे दिन महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल फाइनल (एसएच1) में भारतीय शीर्ष निशानेबाज अवनी लेखरा (Avni Lekhara) ने गोल्ड मेडल अपने नाम किया है। इस इवेंट में अपने पहले पैरालिंपिक में प्रतिस्पर्धा कर रही मोना अग्रवाल तीसरे नंबर पर रही, उन्होंने ब्रांज मेडल अपने नाम किया।

पैरालंपिक रिकॉर्ड के साथ जीता गोल्ड मेडल

अवनि लेखरा (Avni Lekhara)  के लिए ये मेडल काफी खास है, क्योंकि उन्होंने ये मेडल पैरालंपिक रिकॉर्ड के साथ जीता है। 22 साल की अवनि ने फाइनल में 249.7 अंक बनाए, जो एक पैरालंपिक रिकॉर्ड है। इसी के साथ उन्होंने अपने टाइटल का बचाव भी किया है। वहीं, साउथ कोरिया की ली युनरी ने इस इवेंट में सिल्वर मेडल जीता। वहीं, मोना ने 228.7 अंक स्कोर किए और ब्रॉन्ज मेडल पर निशाना लगाया।

पीएम मोदी ने दी बधाई

भारत के पेर‍िस पैरालंप‍िक में दो मेडल आने पर पीएम नरेंद्र मोदी ने बधाई दी है। पीएम मोदी ने एक्स पर ल‍िखाखा- भारत ने पैरालंप‍िक 2024 में अपना मेडल जीता। अवन‍ि (Avni Lekhara)  को R2 महिला 10M एयर राइफल SH1 स्पर्धा में प्रतिष्ठित गोल्ड जीतने के लिए बधाई। वह इतिहास भी रचती है क्योंकि वह 3 पैरालिंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट है। उसका समर्पण भारत को गौरवान्वित करता है। मोना अग्रवाल को पेरिस #पैरालिंपिक2024 में R2 महिला 10m एयर राइफल SH1 स्पर्धा में कांस्य पदक जीतने पर बधाई। उनकी उल्लेखनीय उपलब्धि उनके समर्पण और उत्कृष्टता की खोज को दर्शाती है। भारत को मोना पर गर्व है।

अभी तक जीत चुकी हैं तीन ओलंपिक मेडल

अवनि लेखरा (Avni Lekhara)  का पेरिस पैरालंपिक में अभी तक का प्रदर्शन काफी शानदार रहा है। पिछली बार उन्होंने 10 मीटर एयर स्पर्धा एसएच-1 में गोल्ड मेडल जीतने के साथ-साथ 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन में ब्रॉन्ज मेडल भी अपने नाम किया था। यानी पिछली बार उन्होंने कुल दो मेडल जीते थे। उन्होंने इस प्रदर्शन को इस बार भी जारी रखा और भारत को 2024 पैरालंपिक का पहला गोल्ड मेडल जीताने का कारनामा किया। बता दें, पिछली बार उन्हें पैरालंपिक अवॉर्ड्स 2021 में बेस्ट फीमेल डेब्यू के खिताब से भी सम्मानित किया गया था।

11 साल की उम्र में हुआ पैरालिसिस

अवनि लेखरा (Avni Lekhara) राजस्थान के जयपुर की रहने वाली हैं। उनका पैरालंपिक तक का सफर बिल्कुल भी आसान नहीं रहा है। साल 2012 में कार एक्सीडेंट में उनकी रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट लगी थी। इस वजह से उन्हें पैरालिसिस हो गया था। उस समय वह सिर्फ 11 साल की थीं। लेकिन उन्होंने इसके बाद भी हार नहीं मानी। उन्होंने निशानेबाजी को अपना करियर बनाया। इसके बाद 2015 में पहली बार नेशनल चैम्पियनशिप में हिस्सा लिया और फिर कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

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