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खानदानी सियासत और पानदानी विरासत के दिन लद चुके हैं : नकवी

Mukhtar Abbas Naqvi

रामपुर में समाजवादी पार्टी सरकार में रामपुर रियासत काल में बने द्वारों को तोड़कर सड़को को चौड़ा किया गया था और अलग अलग नामों से बड़े गेट बनवाये गये थे। सपा सरकार में आज़म खान ने गांधी समाधि का सुंदरीकरण करवाया था और साथ ही तीन गेट आवागमन के लिए बनाए गए थे  जिन गेटों को बाबे हयात,बाबे निजात नाम दिया गया था साथ ही सपा सरकार में जेेेल के पास ही आजम खान ने अपने पिता के नाम पर मुमताज पार्क बनवाया था।

सपा सरकार बदली, निजाम बदला, वक्त बदला तो अब  सभी गेटों के नाम बदल दिए गए मुमताज पार्क को अब मौलाना अबुल कलाम आजाद पार्क बना दिया गया। इसका लोकार्पण आज केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने किया उनके साथ जलशक्ति राज्य मंत्री बलदेव सिंह औलख, जिलाधिकारी आंजनेय कुमार सिंह, पुलिस अधीक्षक शगुन गौतम, सीडीओ गजल भारद्वाज के अलावा प्रशासनिक अधिकारी और नेता मौजूद रहे। इस दौरान उन्होंने कहा कि यह नाम उनके नाम पर रखे गये हैं जिन्होंने देश के लिए कुर्बानियां दी हैं। बनवाए गए गेटों के नाम भी अब बदल दिए गए हैं ।

रामपुर में नवाबी दौर में जगह-जगह द्वार बनाए गए थे, सपा शासन काल में आजम खां ने नगर विकास मंत्री रहते शहर के सभी गेटों को ध्वस्त कर दिया गया था। इसके बाद यहां पर गेटों का निर्माण भी कराया गया। गांधी समाधि के पास नवाब गेट था। इसे तोड़कर और बड़ा गेट बनाया गया। इसका नाम नवाब गेट से बदलकर बाब-ए-हयात रख दिया गया था।

गांधी समाधि के पास ही बाईपास पर नया गेट बनाया गया। इस गेट का नाम बाब-ए-निजात रखा गया। इसी तरह तोपखाना रोड पर बने गेट को तोड़कर नया गेट बनाया गया। इसका नाम बाब-ए-इल्म रखा गया। भाजपा सरकार आने के बाद अब इन तीनों गेटों का नाम बदल दिया गया है। इन गेटों का नामकरण देश-दुनिया में रामपुर की पहचान बने लोगों के नाम पर किया जा रहा है। बरहाल आज सभी गेटो का नया नामकरण कर तैयार किया गया और इसका लोकार्पण केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने किया।

किस गेट का नया नाम और इतिहास

मुमताज़ पार्क का नाम अब मौलाना अबुल कलाम आज़ाद:सपा सरकार में आज़म खान ने जेल के पास अपने पिता मुमताज़ खान के नाम से मुमताज़ पार्क बनवाया था जिसे अब रामपुर के पहले सांसद और शिक्षा मंत्री रहे स्वतंत्रता सेनानी रहे मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का नाम दिया गया।

बाब-ए-निजात का नाम अब कर्नल यूनुस अली खान द्वार कर्नल यूसुफ अली खां का देश के लिए बड़ा योगदान रहा है। देश के पहले राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद के एडीसी भी रहे। इनके पिता अब्दुल समद खां रामपुर रियासत में मुख्यमंत्री थे। देश के बंटवारे के दौरान इनके भाई साहबजादा याकूब खान पाकिस्तान चले गए, जो पाकिस्तान के विदेश मंत्री भी रहे।

बाब-ए-हयात का नाम अब मेजर राफे खां द्वार:मेजर राफे ने पाकिस्तान से जंग के दौरान बहादुरी से मुकाबला किया और शहीद हो गए। इन्हे भारत सरकार ने शौर्य चक्र से सम्मानित किया था।

बाब-ए-इल्म का नाम मौलाना अर्शी खां द्वार मौलाना इंतियाज अली खां अर्शी का साहित्य में बड़ा योगदान रहा है। रामपुर रजा लाइब्रेरी के डायरेक्टर रहते हुए भी लाइब्रेरी के किताबी खजाने को बढ़ाने के लिए काम किया।

सात साल बाद बापू की प्रतिमा को समाधि परिसर में स्थान

बापू की प्रतिमा को फिर से गांधी समाधि परिसर में स्थापित किया गया है गांधी समाधि पर केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने 21 साल पहले गांधी मूर्ति लगवाई थी। सपा शासन काल में जब गांधी समाधि का सौंदर्यीकरण हुआ तो इसे हटाकर दूसरे स्थान पर लगा दिया गया। 7 साल बाद अब फिर से पहले स्थान पर लगाया गया है। पनवड़िया में 60 लाख की तैयार से किया गया अटल पार्क और यहीं पर तैयार की गई पुलिस चौकी का भी उद्घाटन किया।

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