नई दिल्ली। यूपी के मऊ से बसपा सांसद अफजाल अंसारी (Afzal Ansari ) की सोमवार को लोकसभा से सदस्यता रद्द कर दी गई है। बता दें कि शनिवार को उन्हें गैंगस्टर मामले में गाजीपुर की MP/MLA कोर्ट ने 4 साल की सजा सुनाई थी। सजा सुनाए जाने के 56 घंटे बाद उनकी सांसदी चली गई।
अफजाल (Afzal Ansari ) के भाई माफिया मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) को भी गैंगस्टर मामले में 10 साल की सजा सुनाई थी। मुख्तार पर 5 लाख और अफजाल पर 1 लाख रुपए का जुर्माना कोर्ट ने लगा था। मुख्तार पहले से ही बांदा जेल में बंद है। इससे पहले तक सांसद अफजाल जमानत पर था।
क्या था मामला?
भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के मामले में दर्ज केस के आधार पर अफजाल अंसारी के खिलाफ गैंगस्टर का केस दर्ज हुआ था। वहीं, मुख्तार अंसारी के खिलाफ भाजपा विधायक कृष्णानंद राय और नंदकिशोर गुप्ता रुंगटा की हत्या के मामले में गैंगस्टर का मुकदमा दर्ज था। दोनों भाइयों के खिलाफ मुहम्मदाबाद थाने में 2007 में क्राइम नंबर 1051 और 1052 दर्ज हुआ था।
अफजाल अंसारी (Afzal Ansari ) का सियासी सफर
>> भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से सरजू पांडेय सरीखे नेता के मार्गदर्शन में राजनीतिक करियर शुरू करने वाले अफजाल अंसारी छह बार विधायक और दो बार सांसद चुने गए। सांसद अफजाल अंसारी ने सियासत का आगाज अपने गृहक्षेत्र गाजीपुर के मुहम्मदाबाद से किया। वामपंथ राजनीति से लेकर समाजवाद और फिर बसपा के साथ सियासी सफर में अफजाल ने कई उतार चढ़ाव देखे। रसूख की राजनीति करने वाले अफजाल की छवि को कृष्णानंद राय हत्याकांड ने धूमिल किया।
>> कम्युनिष्ट पार्टी में लंबे सफर के बाद सपा फिर कौमी एकता दल और फिर सपा से होकर अफजाल बसपा में पहुंचे। अफजाल अंसारी 1985 में मुहम्मदाबाद से पहली बार भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी से विधायक बने। उसके बाद वर्ष 1996 तक लगातार पांच बार विधानसभा में पहुंचतेरहे। इसके अलावा वह गाजीपुर संसदीय क्षेत्र से दो बार सांसद भी निर्वाचित हुए।
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>> साल 2002 के विधानसभा चुनाव में अफजाल अंसारी हार गए और 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्हें गाजीपुर संसदीय सीट से समाजवादी पार्टी ने टिकट दे दिया। इस चुनाव में अफजाल अंसारी ने बीजेपी के खिलाफ जीत दर्ज की। इसके बाद अफजाल 2009 और 2014 में चुनाव लड़े लेकिन हार गए। 2019 में भाजपा के सांसद मनोज सिन्हा को हराकर लोकसभा में पहुंचे।