नई दिल्ली। पतंजलि (Patanjali) ‘भ्रामक विज्ञापन केस’ (Misleading Advertisement Case) में बाबा रामदेव (Baba Ramdev) और आचार्य बालकृष्ण (Acharya Balkrishna) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मानहानि का केस बंद कर दिया है। दरअसल, पतंजलि के उत्पादों के बारे में भ्रामक विज्ञापन (Misleading Advertisement) दिए जाने के इस केस में माफीनामा दाखिल किया गया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस हिमा कोहली और संदीप मेहता की बेंच ने यह फैसला सुनाया है। बता दें कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने पतंजलि पर कोविड-19 वैक्सीनेशन (Covid-19 Vaccination) को लेकर एक कैंपेन चलाने का आरोप लगाया था। इस पर अदालत ने चेतावनी दी थी कि पतंजलि आयुर्वेद की तरफ से झूठे और भ्रामक विज्ञापन (Misleading Advertisement) तुरंत बंद होने चाहिए।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन से एलोपैथी दवाइयों की उपेक्षा हो रही है। आईएमए ने कहा था कि पतंजलि के दावों की पुष्टि नहीं हुई है और ये ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट 1954 और कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 जैसे कानूनों का सीधा उल्लंघन है।
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पतंजलि आयुर्वेद (Patanjali Ayurveda) ने दावा किया था कि उनके प्रोडक्ट कोरोनिल और स्वसारी से कोरोना का इलाज किया जा सकता है। इस दावे के बाद कंपनी को आयुष मंत्रालय ने फटकार लगाई थी और इसके प्रमोशन पर तुरंत रोक लगाने को कहा था।