साल 2015 में कुशीनगर जिले के कसया में तहसीलदार रहे सूर्यभान गिरी को छह लाख के गबन के आरोप में जिला न्यायाधीश की अदालत ने शुक्रवार शाम को जेल भेज दिया। गिरि देवरिया में एसडीएम पद पर रहते सेवानिवृत हो गए थे।
वह सैनिक बिहार नंदा नगर, गोरखपुर के निवासी है। सत्र न्यायाधीश अशोक कुमार सिंह के आदेश पर शुक्रवार को उन्हें अभिरक्षा में लेकर जेल भेज दिया गया। उन पर कसया में तहसीलदार रहते साढ़े छह लाख रुपये के गबन का आरोप है। इसी मामले में कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण कर उन्होंने जमानत की मांग की, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।
अप्रैल 2015 में सूर्यभान गिरी कसया में तहसीलदार थे। 29 सितम्बर 2015 को एसडीएम के आदेश पर तहसील के नजारत विभाग के रजिस्टर संख्या चार के मिलान के दौरान अंतिम अवशेष तथा बैंक स्टेटमेंट के बीच अंतर पाया गया। विभागीय छानबीन में 10 अप्रैल 2015 को चेक द्वारा नजारत के सेंट्रल बैंक के खाता से छह लाख 50 हजार तीन सौ 80 रुपये चेक द्वारा निकासी किए जाने का मामला प्रकाश में आया।
तहसील प्रशासन द्वारा शाखा प्रबंधक से मांगी गई आख्या में यह बात सामने आई कि अशोक कुमार पांडेय निवासी तरुअनवा, थाना पटहेरवा के नाम से बीयरर चेक के जरिये इसका भुगतान किया गया है। चेक के पीछे हस्ताक्षर भी मौजूद है। हस्ताक्षर सक्षम अधिकारी द्वारा प्रमाणित नहीं था। जांच में बैंक की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई। प्रभारी राजस्व निरीक्षक फाजिलनगर ने जब खोजबीन की तो पता चला कि तरुअनवा गांव में इस नाम का कोई व्यक्ति ही नहीं है।
फर्जीवाड़ा उजागर होने पर नायब नाजिर आशीष कुमार द्विवेदी ने कसया थाने में अशोक कुमार पांडेय, सूर्यभान गिरी, तत्कालीन नायब नाजिर दुर्गा प्रसाद गोंड तथा बैंक मैनेजर व कैशियर सेंट्रल बैंक आफ इंडिया शाखा कसया के विरुद्ध तहरीर दी। तहरीर के आधार पर पुलिस ने आरोपितों के विरुद्ध गबन सहित कई धाराओं में मुकदमा दर्ज कर विवेचना के बाद 2020 में आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल कर दिया।
इस बीच तहसीलदार सूर्यभान गिरी का देवरिया स्थानांतरण हो गया और वहां से एसडीएम पद से वे रिटायर हो गए। जिला शासकीय अधिवक्ता जीपी यादव ने बताया कि रिटायर एसडीएम ने हाईकोर्ट में रिट कर मुकदमे की समाप्ति की मांग की थी। हाईकोर्ट के निर्देश पर उन्होंने सत्र न्यायालय में समर्पण कर जमानत की मांग की, जिसे कोर्ट ने खारिज करते 14 दिनों के न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।