नई दिल्ली. पेगासस जासूसी मामले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है। दायर याचिका में पूरे मामले की एसआईटी द्वारा जांच की मांग की गई है. इसके साथ ही भारत में पेगासस सॉफ्टवेयर की खरीद पर भी रोक लगाए जाने की मांग की गई है.
संसद के मानसून सत्र से पहले पेगासस जासूसी मामला सामने आने के बाद से विपक्ष लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर हो गया है. कांग्रेस इस पूरे मामले की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से कराने की मांग कर रही है.
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पूरा मामला…
2019 में राज्यसभा में तीखी बहस की वजह रहा पेगासस स्पायवेयर एक बार फिर सुर्खियों में हैं। न्यूज पोर्टल ‘द वायर’ ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि भारत सरकार ने 2017 से 2019 के दौरान करीब 300 भारतीयों की जासूसी की है। इन लोगों में पत्रकार, वकील, सामाजिक कार्यकर्ता, विपक्ष के नेता और बिजनेसमैन शामिल हैं। सरकार ने पेगासस स्पायवेयर के जरिए इन लोगों के फोन हैक किए थे। हालांकि, सरकार ने सफाई देते हुए सभी आरोपों को निराधार बताया है।
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केंद्र सरकार की सफाई
इस पूरे मामले पर इलेक्ट्रॉनिक्स और IT मंत्रालय ने सफाई दी है। मंत्रालय ने कहा है कि भारत एक मजबूत लोकतंत्र है और अपने नागरिकों के निजता के अधिकार के लिए पूरी तरह समर्पित है। सरकार पर जो जासूसी के आरोप लग रहे हैं वो बेबुनियाद हैं।
हम निजी कंपनियों से डील नहीं करते – कंपनी
पेगासस को बनाने वाली कंपनी का कहना है कि वो किसी निजी कंपनी को यह सॉफ्टवेयर नहीं बेचती है, बल्कि इसे केवल सरकार और सरकारी एजेंसियों को ही इस्तेमाल के लिए देती है। इसका मतलब है कि अगर भारत में इसका इस्तेमाल हुआ है, तो कहीं न कहीं सरकार या सरकारी एजेंसियां इसमें शामिल हैं।
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इजराइली PM को चिट्ठी लिखें मोदी – स्वामी
वहीं, भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि अगर हमारे पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है, तो प्रधानमंत्री मोदी को चाहिए कि वह इजराइली प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखें और NSO पेगासस प्रोजेक्ट का पता लगाएं। यह भी पता लगाया जाए कि इसके लिए किसने खर्च किया।