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रामनवमी पर इस मुहूर्त में करें हवन-पूजन, मिलेगा मां दुर्गा का आशीर्वाद

Havan

Havan

चैत्र नवदुर्गा की रामनवमी (Ram Navami) इस साल 17 अप्रैल दिन बुधवार को मनाई जाएगी। इस दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप माता सिद्धिदात्री की पूरे विधान से पूजा की जाएगी। भागवत पुराण के अनुसार, माता सिद्धिदात्री सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाली माता हैं, इनमें माता के सभी रूप सामहित होते हैं। इसके अलावा नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन और हवन (Havan) करने का भी विधान है। नवरात्रि में वैसे तो आप हर दिन हवन-पूजन कर सकते हैं, लेकिन अष्टमी और महानवमी पर हवन करने का मुख्य विधान होता है।

धर्मशास्त्र के अनुसार, हिन्दू धर्म हवन (Havan) करने से नवग्रह शांत होते हैं और मां दुर्गा प्रसन्न होकर अपने भक्तों को मनचाहा आशीर्वाद देती हैं। ऐसी मान्यता है कि हवन के माध्यम से देवी और देवताओं को हविष्य का अंश प्राप्त होता है। साथ ही उस दौरान मंत्रोच्चार से वे खुश होते हैं और व्रती की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं।

इस शुभ मुहूर्त में करें हवन (Havan) 

चैत्र नवरात्र की नवमी तिथि 16 से दोपहर 01:23 बजे शुरू होगी और 17 अप्रैल को दोपहर के बाद 03:14 बजे समाप्त होगा।
रामनवमी का मध्याह्न मुहूर्त दिन में 11:10 बजे से 01:43 बजे तक रहेगा। इस मुहूर्त में हवन करना शुभ होगा।

दुर्गा पूजा नवमी हवन (Havan) सामग्री

मां दुर्गा की पूजा में हवन (Havan) करने के लिए हवन कुंड जरूरी होता है। साथ ही चंदन की लकड़ी, हवन सामग्री, गाय के गोबर के उप्पले अश्वगंधा, पान, सुपारी, लौंग, जायफल, सिन्दूर, उड़द,शहद, गाय का घी, कपूर, मुलैठी, आम की लकड़ी, सूखा नारियल का गोला, जौ, फूलों की माला, लोबान, नवग्रह लकड़ी, चीनी, लाल कपड़ा, चंदन, रोली, मौली, अक्षत, गुग्गल, लौंग,तिल, चावल आदि। साथ ही सामग्री और पूर्ण आहुति के लिए गोला बेहद जरूरी है।

नवमी के दिन की पूजा में माता की पंचोपचार विधि से पाद्य, आर्घ्य, आचमन, स्नान, फूल, अक्षत, चंदन, सिंदूर,फल, मिठाई से पूजा-अर्चना करें। साथ ही माता की पूजा आरती के बाद हवन के साथ पान, सुपारी, नारियल और कुछ पैसे लेकर पूर्णाहुति दें। अंत में हाथ जोड़कर मां से मांफी मांगे और अपनी मनोकामना मन में बोलें।

हवन (Havan) करने के लाभ

वहीं अगर आप नवरात्रि का हवन करें तो उसमें नवग्रह यानी सूर्य, चंद्रमा, बुध, गुरु, शनि, मंगल, शुक्र, राहु और केतु के नाम या मंत्र से आहुति दें। ऐसा करने से नवग्रह शांत होते हैं। साथ ही शुभ फलों की प्राप्ति होती है। वहीं हवन करते हुए सबसे पहले गणेश जी के नाम से आहुति दें। क्योंकि पूजा में गणेश जी को सबसे पहले पूजनीय माना गया है। वहीं हवन करते हुए कवच, अर्गला और कीलक के मंत्रों से भी आहुति देनी चा​हिए। ऐसा करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती है। इसके अलावा घर-परिवार में जीवनभर सुख-समृद्धि बनी रहती है।

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