सनातन धर्म में तिथि और व्रत को महत्वपूर्ण माना गया है। नवरात्र के 9 दिन देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों को समर्पित है। अष्टमी और नवमी तिथि के दिन कन्या पूजा (Kanya Pujan) का विधान है।
बिना कन्या पूजन (Kanya Pujan) के मां भाविनी की आराधना अधूरी मानी जाती है। इस दिन व्रत रखने वाले जातक छोटी बच्चियों को भोजन कराने के बाद अपना व्रत खोलते हैं। कन्या को खाना खिलाने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आता है। ज्योतिषाचार्य अरविंद त्रिपाठी से जानते हैं कि कन्या पूजन (Kanya Pujan) का शुभ मुहूर्त और महत्व क्या है।
कन्या पूजन (Kanya Pujan) का शुभ मुहूर्त?
अष्टमी के दिन पूज का शुभ मुहूर्त- सुबह 07.51 मिनट से 10.41 मिनट तक है।
दोपहर को 01.30 मिनट से 02.55 मिनट तक है।
महानवमी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त- सुबह 06.27 मिनट से लेकर 07.51 मिनट तक है।
दोपहर का शुभ मुहर्त- 01.30 मिनट से लेकर 02.55 मिनट तक है।
कन्या पूजन (Kanya Pujan) का महत्व
ज्योतिषाचार्य अरविंद त्रिपाठी के अनुसार, दो साल की कन्या को कौमारी कहा जाता है। इनकी पूजा करने से दरिद्रता दूर होती है।
तीन वर्ष की बच्ची को त्रिमूर्ति कहा जाता है। इनकी पूजा करने से परिवार में सुख-शांति की कमी नहीं होती है।
आठ वर्ष की कन्या को शांभवती होती है। इनकी पूजा से लोकप्रियता बढ़ती है।
नौ वर्ष की बच्ची दुर्गा कहलाती हैं। इनकी पूजा से शत्रु पर विजय प्राप्ति और कार्य सिद्ध होते हैं।
दस वर्ष की लड़की सुभद्रा होती है। इनकी पूजा से मनोकामना पूरी होती है।