वैश्विक महामारी कोरोना को फैले दो साल होने को है लेकिन अभी तक इसका कोई मजबूत इलाज नहीं मिला है। दुनियाभर के वैज्ञानिक इसके लिए स्थाई इलाज खोजने में लगे हैं। एक ऐसी दवा जो कोरोना वायरस के संक्रमण को सिर्फ रोके ही नहीं, बल्कि उसे खत्म कर दे। अब वैज्ञानिकों को समुद्र में की तलहटी में एक ऐसे पदार्थ का पता चला है, जो कोरोना का स्थाई इलाज बन सकता है। यह समुद्र के अंदर भारी मात्रा में मौजूद है।
अब आप पूछेंगे कि क्या दवा धरती पर मौजूद नहीं है। क्यों समुद्र में गोते लगाएंगे। इस बात पर वैज्ञानिक कहते हैं कि पेनिसिलीन (Penicillin) चिकित्सा के इतिहास की सबसे बड़ी खोज थी। यह प्राकृतिक तौर पर मौजूद एंटीबायोटिक है। लेकिन इससे इलाज का तरीका किसी को पता नहीं था। जब पता चला तो इतिहास ही बदल गया। इसलिए अब कोरोना को हराने के लिए हमें ऐसा एंटीवायरल चाहिए जो प्राकृतिक तौर पर भारी मात्रा में मौजूद हो।
समुद्री जीव-जंतुओं से मिले पदार्थों से इलाज करने को लेकर अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने अपनी सहमति दी है। इनमें से कई पदार्थों क्लीनिकल ट्रायल्स के अलग-अलग स्टेज में हैं। ऐसा ही एक पदार्थ हाल ही में वैज्ञानिकों को समुद्र के अंदर मिला है। यह पदार्थ समुद्री एल्गी, स्क्विड और मछलियों में मिलता है। इसे मरीन सल्फेटेड पॉलीसैकेराइड्स (Marine Sulphated Polysaccharides – MSPs) कहते हैं।
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मरीन सल्फेटेड पॉलीसैकेराइड्स (Marine Sulphated Polysaccharides – MSPs) एक खास तरह का कार्बोहाइड्रेट है जिसके अंदर सल्फर (Sulphur) पाया जाता है। ये सल्फर समुद्री एल्गी या सीवीड्स की कोशिकाओं की बाहरी दीवारों में भरा रहता है। ये कुछ मछलियों और मैनग्रूव पौधों में भी पाया जाता है। MSPs पदार्थ को लेकर वैज्ञानिक लगातार प्रयोग कर रहे हैं। इसने हर्पिस सिम्प्लेक्स वायरस, HIV, चिकनगुनिया, साइटोमेगालोवायरस, इंफ्लूएंजा और हेपटाइटिस वायरस के खिलाफ अच्छा प्रभाव दिखाया है।
चलिए मान लेते हैं कि MSPs कोरोना की दवा हो सकती है। लेकिन इसके लिए समुद्री एल्गी खोजना। उसे बाहर निकालना। उसे प्रोसेस करके उसमें से यह पदार्थ निकालना। फिर उसकी दवा या वैक्सीन बनाना। यह एक बेहद लंबी और जटिल प्रक्रिया है। लेकिन खुशी की बात ये है कि मरीन सल्फेटेड पॉलीसैकेराइड्स (Marine Sulphated Polysaccharides – MSPs) रखने वाली एल्गी और सीवीड्स की मात्रा समुद्र में बहुत ज्यादा है। इसलिए दुनिया भर के लोगों के लिए इससे करोड़ों डोज दवा बन सकती है।
मरीन सल्फेटेड पॉलीसैकेराइड्स (Marine Sulphated Polysaccharides – MSPs) को लेकर वैज्ञानिकों ने कई पुराने रिसर्च रिपोर्ट्स पढ़े। पता चला कि पिछले 25 सालों में 80 साइंटिफिक रिपोर्ट्स में MSPs की खासियत के बारे में बताया गया है। यह पदार्थ कई तरह के वायरस को खत्म करने और उसके संक्रमण को रोकने की क्षमता है। इसके बाद वैज्ञानिकों ने और खोजबीन की तो प्रकृति से 45 ऐसे पदार्थ मिले जिनमें एंटीवायरल क्षमता है, लेकिन उनकी जांच होनी बाकी है।
ये 45 मरीन सल्फेटेड पॉलीसैकेराइड्स (Marine Sulphated Polysaccharides – MSPs) कई प्रकार के समुद्री स्रोतों से मिलते हैं। जैसे- एल्गी, माइक्रोएल्गी, समुद्री खीरा, स्क्विड कार्टिलेज आदि। जब MSPs के रसायनिक कणों का थ्रीडी कंप्यूटर मॉडल बनाया गया तो यह समझ में आया कि यह कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन को खत्म कर दिया। यानी कोरोना वायरस की जिंदगी खत्म।
MSPs की तरह एक रसायन होता है हीपैरिन (Heparin)। अब तक की जांच में यह कोरोनावायरस के खिलाफ काफी दमदार रहा है। यह कोविड-19 के वायरस में मौजूद स्पाइक प्रोटीन को बांध देता है। कोरोनावायरस को कोशिकाओं में घुसने से रोकता है। समस्या ये है कि हीपैरिन खून को पतला करने वाली दवा है। इसलिए यह कोविड मेडिसिन के तौर पर उपयुक्त नहीं है।
जो 45 MSPs खोजे गए हैं, उनमें से 9 में हीपैरिन जैसी खासियतें हैं, जिसकी वजह से वो कोविड-19 की कारगर दवा बन सकती है। इन 9 पदार्थों से भविष्य में कोरोना के लिए स्थाई दवा या वैक्सीन बनाई जा सकती है। जैसे एक एल्गी से मिलने वाला पदार्थ कैरेगीनन (Carrageenan) का उपयोग सर्दी जुकाम में उपयोग होने वाले नेजल स्प्रे और लोजेंजेस में होता है। कैरेगीनन कोविड-19 को रोकने की प्रभावी दवा हो सकती है। यह बात टेस्ट में भी पुख्ता हो चुकी है।