दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार को निजामुद्दीन मरकज मस्जिद में रमजान के मद्देनजर अधिकतम 50 लोगों को दिन में पांच वक्त की नमाज अदा करने की इजाजत दे दी। जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह ने निजामुद्दीन पुलिस थाने के थानाध्यक्ष को निर्देश दिया के वो दिन में पांच बार 50 लोगों को मस्जिद बंगले वाली की पहली मंजिल पर नमाज के लिए प्रवेश की इजाजत दें।
दिल्ली वक्फ बोर्ड की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश गुप्ता ने मांग की थी कि संख्या बढ़ाई जाए और मस्जिद की अन्य मंजिलों के इस्तेमाल की भी इजाजत दी जाए, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया। अदालत ने हालांकि उन्हें इस आशय का अनुरोध थाना प्रभारी के सामने करने की इजाजत दे दी। अदालत ने कहा कि एसएचओ बोर्ड की तरफ से दिए गए ऐसे किसी आवेदन पर कानून के मुताबिक विचार कर सकते हैं।
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अदालत ने यह भी कहा कि उसका आदेश राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के मद्देनजर दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) की तरफ से जारी अधिसूचना से प्रभावित हो सकता है।
निजामुद्दीन मरकज में पिछले साल कोविड-19 महामारी के दौरान मजहबी जलसा हुआ था, जिसके बाद 31 मार्च से मरकज बंद है। गुरुवार को सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक रिपोर्ट दाखिल की, जिसमें कहा गया है कि कोविड-19 के बढ़ते मामलों के मद्देनजर सभी तरह के समागम पर पाबंदी लगाने वाली डीडीएमए की अधिसूचना सभी धर्मों पर लागू होती है। हालांकि, रिपोर्ट में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि सभी धार्मिक स्थलों को बंद किया गया है, या नहीं।