नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बिहार में कोरोना वायरस महामारी के बीच विधानसभा चुनाव पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दिया है। याचिकाकर्ता ने राज्य में कोरोना के चलते बिगड़े हालात का हवाला दिया था।
याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि हम पहले ही साफ कर चुके है कि चुनाव आयोग हालात के मुताबिक सभी चीजों को ध्यान में रखकर फैसला लेने में समर्थ है। इसलिए इस याचिका पर सुनवाई करने का कोई मतलब नहीं है।
बताया गया कि इस बार होने वाले विधानसभा चुनाव में पोलिंग बूथ पर वोटर्स की संख्या घटा दी गई है। राज्य में 7.29 करोड़ वोटर्स हैं जिसमें 3.39 करोड़ महिला और 3.79 करोड़ पुरुष मतदाता हैं।
सीईसी सुनील अरोड़ा ने कहा कि जैसे-जैसे दिन- महीने बीतते गए और कोविड 19 का असर कम होने के कोई संकेत नहीं दिखे। तो यह महसूस किया गया कि लोगों को स्वास्थ्य और लोगों की सुरक्षा की सुरक्षा के लिए ईमानदार और व्यवस्थित प्रयास करते हुए मतदाताओं के लोकतांत्रिक अधिकारों को संतुलित करने के लिए कुछ रास्ता खोजना होगा।
ऑनलाइन कर सकेंगे नामांकन- इस बार विधानसभा चुनावों में प्रत्याशी ऑनलाइन नामांकन, डिपोजिट भर सकते हैं। साथ ही वे जीत का डिजिटल प्रमाण पत्र भी पा सकते हैं।
वोटिंग की समयावधि बढ़ा दी गई है। इस बार होने वाले विधानसभा चुनाव 7 बजे सुबह से 6 बजे शाम तक होंगे। हालांकि नक्सल प्रभावित इलाकों में यह लागू नहीं होगा।
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चुनाव आयोग शुक्रवार को बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर बिहार चुनाव को रफ्तार देगा। देशभर में फैली महामारी की वजह से विपक्षी पार्टियां चुनाव को टालने की बात कह रही थी। यही नहीं नीतीश सरकार की सहयोगी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी ने जुलाई में चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखकर चुनाव टालने तक का निवेदन कर दिया था। पार्टी ने कहा था कि कोरोना के संक्रमण के डर के दौरान इतने बड़े पैमाने पर चुनाव कराना सुरक्षित नहीं होगा।
बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं। 243 में से 38 सीटें अनुसूचित जाति के लिए और 2 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व हैं। 2015 में राज्य में 6.68 करोड़ वोटर थे। इनमें 56 फीसदी लोगों ने ही चुनाव में अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था।
जानकारी के मुताबिक, इस बार तीन से चार चरणों में बिहार विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। हालांकि, 2015 में विधानसभा का चुनाव पांच चरणों में हुआ था। इस बार कम चरणों में चुनाव कराने की वजह ये है कि 2015 में बिहार चुनाव में 72 हजार पोलिंग बूथ थे, लेकिन इस बार चुनाव आयोग करीब एक लाख छह हजार पोलिंग बूथ बनाने की तैयारी कर रहा है। कोरोना काल चल रहा है, ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग का खास ध्यान रखने के लिए ऐसा किया गया है।
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2015 के चुनाव में बीजेपी ने 157 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और 53 सीटों पर कामयाबी हासिल की थी। बीजेपी का वोट शेयर 37.48 रहा। लोजपा ने 42 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन महज 2 सीटें जीतने में ही कामयाब हो पाई। वोट शेयर 28.79 रहा। जीतन राम मांझी की पार्टी ने हम एक सीट जीती थी। भाकपा माले ने 3 सीटों पर जीत दर्ज की। चार निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। आरएलएसपी ने 2 दो सीटों पर जीत हासिल की।