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चिकित्सकों ने माना दवाओं से अधिक मेडिटेशन कारगर

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लाइफ़स्टाइल डेस्क। कोरोना संक्रमण काल में स्वास्थ्य और रोजगार को लेकर तनाव की स्थिति के निरंतर बने रहने के दुष्प्रभाव अवसाद और घबराहट के तौर पर सामने आ रहा है। चिकित्सकों का मानना है कि इस मनोदशा में बाहर निकलने के लिये दवाओं से अधिक कारगर योगाभ्यास और ध्यान यानी मेडिटेशन हो सकता है।

योग गुरु गुलशन कुमार ने मंगलवार को बताया कि कोरोना के संक्रमण से डर,भय,तनाव,एन्ग्जाईिट और डिप्रेशन लोगों के जीवन में आया है जिसका प्रतिकूल प्रभाव रोग प्रतिरोधक क्षमता पर पड़ा है जो संक्रमण की चपेट में आने की संभावनाओं को प्रबल करता है।

इन सभी शारीरिक व मानसिक स्थितियों में ध्यान (मैडीटेशन) करने से किसी भी व्यक्ति के इम्यून सिस्टम को प्राकृतिक बल मिलता है और शीघ्र आरोग्य की प्राप्ति होती है।

योगी ने बताया कि मैडीटेशन के अभ्यास से लिम्फोसाइट सक्रिय होते है जो एक प्रकार से श्वेत रक्त कणों (व्हाइट बल्ड सैल) से शरीर में एंटीबॉडी बनती है। ये एंटीबॉडी शरीर में पहुंच चुके वायरस पर आक्रमण कर उन्हें नष्ट कर देते है। मैडीटेशन तनाव के स्तर को कम करता है। इसके निरंतर अभ्यास से इम्यून सिस्टम में सुधार होता है सकारात्मकता से व्यक्ति के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार आता है।

उन्होने कहा कि श्वास प्रश्वाश ध्यान कोरोना से ग्रसित मरीजों के लिये भी प्रभावशाली है। कोरोना संक्रमित मरीज अपने बैड पर बैठकर नेत्र बन्द करे। मुख मण्डल ढीला छोड कर ध्यान को श्वास पर के्द्रिरत करे। अपने ही आती जाती श्वास प्रश्वास को साक्षी भाव से देखते रहना है।

धीमी गति के साथ सांसो को गहरा करते जाए। इस अभ्यास से वक्ष के बीचोंबीच स्थित थाइमस ग्रंथि सक्रिय होने से इम्यूनिटी बढने लगती है। इसके साथ साथ रेस्पिरेटरी सिस्टम को अधिक आक्सीजन मिलने लगती है। एल्यविलाई सेक्स क्रियाशील होने लगते है। दिन प्रतिदिन आक्सीजन का स्तर बेहतर होने लगता है। व्यक्ति संक्रमण से बाहर निकल आता है।

योग गुरू ने बताया कि इमोशनल स्ट्रेस से डिप्रेशन से व्यक्ति जल्दी ध्यान के अभ्यास से बाहर निकल आता है। यदि कोई व्यक्ति मैडीटेशन के अभ्यास में नया है तो किसी योग गुरू की मदद ले।

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