हल्द्वानी। दो बूंद जिंदगी की। ये स्लोगन सुनते ही एक मासूम से बच्चे की पोलियो ड्रॉप (Polio Drops) पीती तस्वीर जहन में आती है, लेकिन हल्द्वानी में हज (Haj) जाने से पहले 70 साल के दादा-दादी को भी ये ड्रॉप (Polio Drops) पिलाई जाएगी। 12 मई को ड्रॉप पिलाने के साथ ही टीके भी लगाए जाने हैं।
दरअसल, सऊदी अरब ने हज यात्रा पर आने वाले यात्रियों के लिए इस प्रमाणपत्र को अनिवार्य किया है। बड़े सामूहिक समारोह में पोलियो फैलने के खतरे से बचने के लिए सऊदी अरब ये सख्ती करता है। हर साल, दुनिया भर से लाखों मुसलमान हज के लिए मक्का में एकत्र होते हैं।
सभी वयस्क, सक्षम मुसलमान जीवन में कम से कम एक बार हज करना चाहते हैं। हज यात्रा एक कठिन यात्रा है। इसके लिए गर्म मौसम में लंबा सफर यात्रियों को तय करना पड़ता है। इसलिए इस यात्रा पर शारीरिक रूप से अनफिट और पहले से मौजूद चिकित्सा संबंधी समस्याओं वाले लोगों को अनुमति नहीं मिलती।
यात्रा की शुरुआत में ही पूरी तरह सेहतमंद होने का मेडिकल सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य होता है। जिसमें यह लिखा होता है कि हज के लिए आए व्यक्ति को पोलियो ड्रॉप (Polio Drops) पिलाने के साथ ही उसे मेनिनजाइटिस और सीजनल इन्फ्लूएंजा की वैक्सीन लगाई गई है।
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. अजय शर्मा ने बताया कि सभी हज यात्रियों की 12 मई को किदवई नगर स्थित मदरसा इस्तुलहक में मेडिकल जांच होगी। वहीं पोलियो ड्रॉप पिलाई जाएगी और वैक्सीनेशन किया जाएगा।
उत्तराखंड राज्य हज समिति के पूर्व सदस्य व हज ट्रेनर जमीर अहमद ने बताया कि मक्का मदीना में कई देशों के मुस्लिम आते हैं। ऐसे में किसी देश के हज यात्री को अगर कोई बीमारी है तो वह दूसरे पर नहीं फैले इसके लिए पोलियो समेत अन्य टीकाकरण कराने के बाद उसका सर्टिफिकेट भी ले जाना अनिवार्य होता है।
कुमाऊं से 210 जाएंगे हज
हज के लिए कुमाऊं से करीब 210 लोगों को मक्का मदीना भेजा जाना है। जिसमें हल्द्वानी से करीब 173 लोग शामिल हैं। हज जाने वालों में 26 साल से लेकर 81 साल तक के लोग शामिल हैं। जाने से पहले इन यात्रियों की मेडिकल जांच की तैयारी हो गई है।
40 दिन सऊदी अरब में रहना होता है
हज के लिए मक्का-मदीना जाने वाले यात्री को करीब 40 दिन सऊदी अरब में रहना होता है। गर्मी के महीने जुलाई में होने के कारण ये यात्रा और कठिन हो जाती है। इसमें संक्रमण फैलने का खतरा भी अधिक रहता है। इसलिए पोलियो ड्रॉप के साथ हेपेटाइटिस बी, रैबीज और इंफ्लुएंजा जैसे टीके लगते हैं।