Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

Pitru Paksha 2020: जानें पितृ पक्ष की यह पौराणिक कथा

Pitru Paksha

पितृ पक्ष

धर्म डेस्क। ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष के दिनों में हमारे पूर्वज जिनका देहान्त हो चुता है वो सभी सूक्ष्म रूप में पृथ्वी पर आते हैं। ये सभी अपने जीवित परिजनों के तर्पण को स्वीकार करते हैं। इस दौरान पितरों के लिए पिंडदान किया जाता है। लोग अपने पितरों के लिए श्रद्धा और प्रेम से श्राद्ध करते हैं।

इन दिनों में पिंडदान, तर्पण, हवन और अन्न दान मुख्य रूप से किए जाते हैं। ये दिन पितरों को समर्पित होते हैं। श्रद्धा से किया गया कर्म श्राद्ध कहलाता है। भाद्रपद की पूर्णिमा से अश्विन कृष्ण की अमावस्या तक कुल 16 दिन तक श्राद्ध रहते हैं। इन 16 दिनों के लिए हमारे पितृ सूक्ष्म रूप में हमारे घर में विराजमान होते हैं। आइए ज्योतिषाचार्य पं. दयानन्द शास्त्री से जानते हैं कि पितृ पक्ष की शुरुआत आखिर कैसे हुई।

जब महाभारत के युद्ध में दानवीर कर्ण की मृत्यु हो गई थी तो इनकी आत्मा निकलकर स्वर्ग पहुंच गई थी। वहां पर कर्ण को नियमित भोजन के बजाय सोना और गहने खाने के लिए दिए गए। कर्ण इस बात से निराश थे। उन्होंने इंद्र देव से इसका कारण पूछा। तब इंद्र ने कर्ण को बताया कि आपने अपने पूरे जीवन में दूसरों को सोने के आभूषण दान किए हैं।

लेकिन उन्हें कभी पूर्वजों को नहीं दिया। कर्ण ने उत्तर दिया कि वह अपने पूर्वजों के बारे में कुछ नहीं जानता है। कर्ण की बात सुनने के बाद भगवान इंद्र ने उसे 15 दिनों की अवधि के लिए पृथ्वी पर वापस जाने की अनुमति दी जिससे वो अपने पूर्वजों को भोजन दान कर पाए। यही 15 दिन पितृ पक्ष के रूप में जाने जाते हैं।

पितृपक्ष में सभी शुभ कार्य करने चाहिए। श्राद्ध के समय नए आभूषण, भवन, वाहन या ऐसी अन्य वस्तुओं या चीजों की खरीददारी अवश्य करनी चाहिए। पितृ यह देखकर प्रसन्न होते हैं कि उनकी भावी पीढ़ी कितनी उन्नति कर रही है।

Exit mobile version