हिंदू धर्म में पितृ पक्ष (Pitru Paksha) का विशेष महत्व है और इसकी शुरुआत हर साल भादो मास की पूर्णिमा पर होता है। पौराणिक मान्यता है कि पूर्वजों की आत्मिक शांति के लिए श्राद्ध पक्ष में पिंडदान व तर्पण किया जाता है। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, जिस तिथि को किसी रिश्तेदार या परिजन का निधन होता है, श्राद्ध पक्ष में उसी तिथि को श्राद्ध किया जाता है, लेकिन कई बार लोगों को परिजनों की निधन की तिथि ज्ञात नहीं होती है। ऐसी स्थित में श्राद्ध को लेकर लोगों के मन में काफी असमंजस की स्थिति रहती है।
पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, सभी पूर्वजों की मृत्यु तिथि के दिन ही श्राद्ध कर्म किया जाना उचित होता है, लेकिन मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं होने की स्थिति में भी पौराणिक मान्यता के अनुसार श्राद्ध किया जा सकता है। तिथि ज्ञात नहीं होने के स्थिति में सभी मृतक स्त्री जातकों का श्राद्ध नवमी तिथि को करना चाहिए। इस वर्ष श्राद्ध पक्ष की नवमी तिथि 7 अक्टूबर 2023, शनिवार को है। वहीं सभी मृतक पुरुषों का श्राद्ध सर्वपितृ अमावस्या को किया जाता है। इस साल सर्वपितृ अमावस्या शनिवार 14 अक्टूबर 2023 को है।
श्राद्ध करने को लेकर ये भी नियम
आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नाना का श्राद्ध किया जाता है, जिसे ‘‘नान श्राद्ध‘‘ और ‘‘आजा‘‘ भी कहा जाता है। नाना की मृत्यु किसी भी तिथि को हुई हो, लेकिन बेटी अपने घर पर पिता का श्राद्ध आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को ही करती है, जो इस बार 15 अक्टूबर 2023 को है।
पितृ ऋण से मुक्ति
पितृ पक्ष (Pitru Paksha) में पितरों की आत्मिक शांति के लिए श्राद्ध कर्म जरूर करना चाहिए। ऐसा न करने पर पितृ ऋण से मुक्ति नहीं मिलती है और संतान को कई तरह के कष्ट झेलना पड़ता हैं। इस साल श्राद्ध पक्ष 29 सितंबर से 14 अक्टूबर 2023 तक रहेंगे। श्राद्ध में पितरों को खीर का भोजन प्रिय है, इसलिए श्राद्ध के दिन खीर-पुड़ी का भोजन जरूर बनाना चाहिए।