सनातन धर्म में पूर्वजों की कृपा पाने और उनकी आत्मा की शान्ति के लिए पितृ पक्ष अवधि में पिंडदान और तर्पण करने की परंपरा है। इस साल 17 सितंबर से पितृपक्ष (Pitru Paksha) शुरू हो चुका है। इस अवधि में अलावा, पितरों के निमित्त दान करने का भी विधान है। पितृ पक्ष में विधि अनुसार कर्मकांड का पालन किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार के सदस्यों को सुख समृद्धि का आर्शीवाद मिलता है।
गरुण पुराण के अनुसार, मातृ नवमी (Matra Navami) के दिन सिर्फ महिला पितरों का श्राद्ध किया जाता है। आइये जानते हैं कि इस साल कब पड़ रही है मातृनवमी, क्या है इस दिन श्राद्ध का मुहूर्त और क्या है मातृ नवमी का महत्व।
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की नवमी को मातृ नवमी (Matra Navami) कहा जाता है। मान्यता है कि मातृ नवमी (Matra Navami) के दिन महिला पितरों का श्राद्ध करने से इनकी आत्मा को शांति मिलती है। इस साल मातृ नवमी 25 सितंबर को मनाई जाएगी।
पितृ पक्ष की नवमी तिथि 25 सितम्बर को दोपहर 12 बजकर 10 से शुरू होकर अगले दिन 26 सितम्बर को 12 बजकर 25 मिनट पर समाप्त होगी।
पितृ पक्ष की नवमी तिथि के दिन महिलाएं देवी मां की पूजा करती है और सास के निमित्त ब्राह्मण को दान देकर उन्हें संतुष्ट करती हैं। मान्यता है कि मातृ नवमी (Matra Navami) के दिन मृत स्त्रियों को प्रणाम करने, भोजन कराने, दान-पुण्य करने और सुहाग की सामग्री चढ़ाने से सुहागन का आशीर्वाद बना रहता है।