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इस दिन से शुरू होगा पितृपक्ष, तर्पण के दौरान जरूर करें ये काम

Pitru Paksha

Pitru Paksha

भाद्रपद मास की पूर्णिमा के बाद से अश्विन मास शुरू हो जाएगा। इस महीने में 15 दिन पितरों के होते हैं। इस साल 17 सितंबर को स्नान-दान की पूर्णिमा है। इसी दिन से महालय का भी आरंभ होगा। इस साल पितृपक्ष (Pitru Paksh) का आरंभ भी 18 सितंबर दिन बुधवार से हो जाएगा। प्रतिपदा का श्राद्ध 18 सितंबर को ही किया जाएगा।

श्राद्ध 2 अक्टूबर तक रहेंगे, इसके बाद नवरात्र की शुरुआत हो जाएगी। ये 15 दिन पितरों के लिए माने जाते हैं, जिसमें उनकी मृत्यु की तिथि पर उनका श्राद्ध करना चाहिए। अपने पितरों के श्राद्ध के दिन उनका तर्पण कर उनका श्राद्ध करना चाहिए। श्राद्धकर्म में तर्पण के दौरान ग्रास निकाला जाता है। दरअसल भोजन के ग्रास निकाले जाते हैं। इनमें एक हिस्सा गाय को, एक हिस्सा अग्नि को, एक हिस्सा कुत्ते, एक हिस्सा कौए को निकाला जाता है।

उनका ग्रास निकालने का मतलब है कि इनके जरिए हमारा श्राद्ध पितरों तक पहुंचता है। यह भी कहा जाता है कि इसमें कौए को पितरों का रूप माना जाता है।

यह मान्यता है कि श्राद्ध ग्रहण करने के लिए हमारे पितर कौए का रूप धारण कर नियत तिथि पर धरती पर आते हैं, और श्राद्ध ग्रहण करते हैं। अगर उन्हें श्राद्ध नहीं मिलता तो वे रुष्ट हो जाते हैं। इस कारण श्राद्ध का प्रथम अंश कौए के लिए निकाला जाता है। इसके बाद गाय के लिए ग्रास निकाला जाता है, गाय के लिए ग्रास निकालने से ग्रह बाधा दूर होती है। इसके अलावा कुत्ते के लिए ग्रास निकालने से सभी नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं। वहीं अग्नि सबसे पवित्र मानी जाती है, इसलिए एक ग्रास अग्नि के लिए भी निकाला जाता है।

पितृपक्ष (Pitru Paksh) में पितरों के लिए तर्पण तभी पूरा होता है, जब ये सभी ग्रास निकालकर दिए जाते हैं। इसके बाद सूर्य को जल अर्पित करते हैं। इसके बाद ही ब्राह्मण को भोजन कराया जाता है।

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