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घर में लगाए ये पौधे, मिलेंगे फायदे

medicinal plants

medicinal plants

घरों को सुंदर दिखाने के लिए लोग तरह-तरह के पौधे (Plants) लगाते हैं। एक सच ये भी है कि हर पौधे का कोई न कोई औषधीय महत्व (medicinal plants) होता है। पौधे घर को सजाने के साथ साथ सकारात्मक ऊर्जा को भी लाते हैं। आपको बता दें कि कुछ पौधे, खासकर जड़ी-बूटी वाले पौधे, हमारे स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने का काम करते हैं। औषधीय पौधे (medicinal plants) आयुर्वेद का जरूरी हिस्सा है, जिसका इस्तेमाल सदियों से रोगों का उपचार करने के लिए किया जा रहा है। हर्बल उपचार में शारीरिक और मानसिक कल्याण को ठीक करने की क्षमता होती है। इनके गुणों के कारण ही अब लोग अपने आसपास या फिर घरों में इन पौधों को लगाने पर जोर दे रहे हैं। ऐसे में आज हम आपको कुछ ऐसे पौधों के बारे में बताने जा रहे है घर के आसपास की खाली जमीन या घर पर लगाने से पूरे परिवार को रोगमुक्त रखने के प्रयास कर सकते हैं। तो चलिए जानते है इन पौधों के बारे में…

गिलोय

गिलोय का औषधीय नाम टाइनोस्पोरा कार्डिफोलिया है। गिलोय को लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में आसानी से उगाया जा सकता है। यह पान के जैसे पत्तों वाली बेल है। तने के टुकड़ों से ही नया पौधा बन जाता है।

– गिलोय को इम्युनिटी बूस्टर भी कहा जाता है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करता है।

– गिलोय में मौजूद एंटीपायरेटिक तत्व बुखार के मरीज के लिए काफी लाभदायक होते हैं।

– पीलिया (Jaundice) के रोगियों के लिए गिलोय काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। पिलिया से परेशान लोगों को गिलोय के पत्तों का रस पिलाने से आराम मिलता है। गिलोय के 20-30 मिली काढ़ा में 2 चम्मच शहद मिलाकर दिन में तीन-चार बार पिलाने से पीलिया रोग में लाभ होता है।

– गिलोय में भारी मात्रा में एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व पाएं जाते हैं। एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व सांसों से संबंधित समस्याओं में राहत दिलाता है। गिलोय अनचाहे कफ पर लगाम लगाने का काम करता है। साथ ही फेंफड़े को साफ रखने में भी सहायक होता है।

– गिलोय में ग्लूकोसाइड और टीनोस्पोरिन, पामेरिन एवं टीनोस्पोरिक एसिड भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं। यह गुण शरीर में खून की कमी को दूर करने में सहायक होते हैं।

– गिलोय के औषधीय गुणों के कारण उसको 10-20 मिली रस के साथ गुड़ का सेवन करने से कब्ज में फायदा होता है।

– गिलोय के 10-20 मिली रस में 2 चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो-तीन बार पीने से भी डायबिटीज में फायदा होता है।

– 20 मिली गिलोय के रस में एक ग्राम पिप्पली तथा एक चम्मच मधु मिला लें। इसे सुबह और शाम सेवन करने से पुराना बुखार, कफ, तिल्ली बढ़ना, खांसी, अरुचि आदि रोग ठीक होते हैं।

तुलसी

पूजा पाठ के लिए आमतौर पर तुलसी उपयोग में लाई जाती है। इसी तरह से तुलसी एक औषधि का काम भी करती है।

– तुलसी के पत्तों में एंटी-बैक्टीरियल तत्व होते हैं जो खांसी, जुकाम, सर्दी जैसी समस्याओं से छुटकारा दिलाते हैं और सांस प्रणाली को बेहतर बनाते हैं। इसके अलावा तुलसी के पत्ते पाचन संबन्धी परेशानियां दूर करते हैं।

– तुलसी के पत्ते में मौजूद अडैप्टोजेन स्ट्रेस को कम करने का काम करता है। इसके नियमित सेवन से रक्त संचार दुरुस्त होता है और नर्वस सिस्टम को राहत मिलती है। तुलसी के पत्तों से सिरदर्द में भी राहत मिलती है।

– अगर आपको अक्सर एसिडिटी, गैस और अपच जैसी समस्या रहती है तो भी तुलसी का पत्ते का नियमित सेवन काफी राहत दे सकता है। इससे शरीर का पीएच लेवल भी संतुलित रहता है।

– तुलसी के पत्ते आपकी बॉडी को डिटॉक्स करते हैं और मेटाबॉलिज्म रेट बढ़ाते हैं। तुलसी के पत्ते वजन कम करने में भी सहायक हैं।

– तुलसी के पत्ते से सांस की बदबू की परेशानी भी दूर होती है। अगर आप रोजाना सुबह खाली पेट तुलसी के पत्ते लें तो ये मुंह के बैक्टीरिया को खत्म कर देते हैं और मुंह से बदबू की समस्या दूर करते हैं।

– अगर आपको गले से सबंधित किसी प्रकार की कोई भी समस्या है तो गर्म उबले हुए पानी में तुलसी के कुछ पत्ते डालें और फिर उसको धीरे धीरे करके दिन में तीन से चार बार पिए। गले के संक्रमण से आप को राहत मिलेगी।

एलोवेरा

एलोवेरा का वैज्ञानिक नाम एलो बर्बदेंसिस है। एलोवेरा में विटामिन ए, सी और ई, विटामिन बी 12 और फोलिक एसिड काफी अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं। इसके अलावा एलोवेरा में एंटी ऑक्सीडेंट के गुण पाए जाते हैं। एलोवेरा देखने में अवश्य अजीब सा पौधा है लेकिन इसके गुणों का कहीं कोई अंत नहीं है।

– यह बवासीर, डायबिटीज, गर्भाशय के रोग, पेट की खराबी, जोड़ों का दर्द, त्वचा की खराबी, मुंहासे, रूखी त्वचा, धूप से झुलसी त्वचा, झुर्रियों, चेहरे के दाग-धब्बों, आंखों के काले घेरों, फटी एड़ियों के लिए यह लाभप्रद है।

– इसका सेवन खून की कमी को दूर करता है तथा शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

– जलने पर, अंग कहीं से कटने पर, अंदरूनी चोटों पर एलोवेरा अपने एंटी बैक्टेरिया और एंटी फंगल गुण के कारण घाव को जल्दी भरता है।

– यह रक्त में शर्करा के स्तर को बनाए रखता है। बवासीर, डायबिटीज, गर्भाशय के रोग, पेट की खराबी, जोड़ों का दर्द, त्वचा की खराबी, मुंहासे, रूखी त्वचा, धूप से झुलसी त्वचा, झुर्रियों, चेहरे के दाग-धब्बों, आँखों के काले घेरों, फटी एडियों के लिए यह लाभप्रद है।

– एलोवेरा का गूदा या जैल निकालकर बालों की जड़ों में लगाना चाहिए। बाल काले, घने-लंबे एवं मजबूत हो सकते हैं।

– एलोवेरा जैल या ज्यूस मेहंदी में मिलाकर बालों में लगाने से बाल चमकदार व स्वस्थ होंगे। एलोवेरा के कण-कण में सुंदर एवं स्वस्थ रहने के कई-कई राज छुपे पड़े हैं। यह संपूर्ण शरीर का कायाकल्प करता है

– शरीर की सूजन को कम करने में मददगार है एलोवेरा। इसमें पाए जाने वाले एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी बैक्टीरियल गुण शरीर की सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं।

– एलोवेरा का जूस मोटापा कम करने में फायदेमंद माना जाता है। 10-15 ग्राम एलोवेरा के जूस में मेथी के ताजे पत्तों को पीसकर उसे मिलाकर सेवन करने से मोटापे को कम किया जा सकता है।

लेमनग्रास

लेमन ग्रास को जाराकुश, मालाबार या नींबू घास भी कहते हैं। इसकी पत्तियों का स्वाद नींबू जैसा होता है। अगर आप इसको घर में लगाना चाहते हैं तो इसकी कुछ डंडियों को काटकर भी लगा सकते हैं। लेमनग्रास का प्रयोग विटामिन-ए के रूप में, श्रृंगार सामग्री, सुगंध एवं साबुन आदि बनाने में किया जाता है।

– यह पौधा चिंता, अवसाद को कम करने की क्षमता रखता है।

– कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखने में लेमन ग्रास अहम भूमिका निभा सकती है।

– लेमन ग्रास का सेवन अपच, गैस्ट्रिक की समस्या व पेट संबंधित अन्य परेशानियों से राहत दिलाने के साथ पेट की अंदरूनी दीवारों को सुरक्षा प्रदान कर सकता है।

– लेमन ग्रास में मूत्रवर्धक गुण होता है। इसका सेवन करने से बार-बार पेशाब जाने की जरूरत हो सकती है, जो किडनी के लिए अच्छा है। इससे शरीर के विषाक्त पदार्थ पेशाब के जरिए बाहर निकल सकते हैं, जिसे किडनी स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना जा सकता है।

– लेमन ग्रास और लेमन ग्रास तेल में एंटी-कैंसर गुण पाए जाते हैं, जो कैंसर सेल्स को खत्म कर कैंसर के खतरे को कम करने में मदद कर सकते हैं।

– लेमन ग्रास शरीर को डिटॉक्सिफाई कर सकती है और यूरिन के जरिए विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकाल सकता है। माना जाता है कि डिटॉक्सिफिकेशन से वजन कम करने में मदद मिल सकती है।

– मन ग्रास में फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन ए, बी और सी मौजूद होते हैं, जो इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने में सहायक भूमिका निभा सकते हैं।

– लेमन ग्रास तेल का उपयोग अनिद्रा की शिकायत होने पर या फिर ठीक से नींद नहीं आने पर किया जा सकता है।

– गठिया की समस्या से राहत के लिए लेमन ग्रास तेल को फायदेमंद बताया गया है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होता है, जो गठिया के लक्षणों से आराम दे सकता है

– लेमन ग्रास और उसके फूलों को पारंपरिक रूप से मधुमेह के इलाज के लिए उपयोग किया जाता रहा है। इसमें एंटी-डायबिटिक गुण होते हैं, जो खाली पेट और खाने के बाद के ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।

– लेमनग्रास का उपयोग दर्द को कम करने में सहायक हो सकता है।

– लेमन ग्रास के गुण बेदाग और पिंपल-फ्री त्वचा पाने में मदद कर सकते हैं। इसमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण होते हैं, जो पिम्पल और संक्रमण फैलाने वाले कीटाणुओं से लड़ते हैं और उन्हें जड़ से खत्म कर सकते हैं।

अजवाइन

अजवायन को भी आमतौर पर घरों में लगाया जाता है। अजवाइन का इस्‍तेमाल नमकीन पूरी, मठ्ठी, नमक पारे और पराठों का स्‍वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है। अगर आप अजवायन के पत्तों का सेवन करते हैं, तो इससे पेट की समस्याओं को दूर करने में सहायता मिलती है।अगर कभी अचानक से आपको पेट से संबंधित किसी प्रकार की समस्या को तो तुरंत ही घर में मौजूर अजवायन के पौधे के पत्ते को काम में लाएं।आप अजवायन के पत्तों का सेवन शहद, काली मिर्च या हल्दी के साथ भी कर सकते हैं।

– अजवाइन पेट की कई बीमारियों का रामबाण इलाज है। इसका सेवन करने से पेट दर्द, गैस, उल्‍टी, खट्टी डकार और एसिडिटी में आराम मिलता है। अजवाइन, काला नमक और सूखे अदरक को पीसकर चूरन तैयार कर लें। खाना खाने के बाद इस चूरन का सेवन करने से खट्टी डकार और गैस की समस्‍या दूर हो जाती है।

– पेट खराब होने पर अजवाइन चबाएं। यही नहीं अगर डाइजेशन सही करना हो तो अजवाइन से बेहतर कुछ नहीं।

– अजवाइन वजन घटाने में भी काफी मददगार है। अजवाइन का पानी पीने से शरीर का मेटाबॉलिज्‍म बढ़ता है, जिससे चर्बी घटने लगती है।

– अगर आपकी खांसी ठीक नहीं हो रही है तो अजवाइन का पानी बहुत फायदा करेगा। इसके लिए अजवाइन को पानी में मिलाकर उबाल नें। इसमें काला नमक मिलाकर पीने से आराम म‍िलेगा।

– अजवाइन से गठिया के रोग में भी आराम मिलता है। अजवाइन के चूरन की पोटली बनाकर घुटनों में सेंकने से फायदा होता है।

– अगर मसूड़ों में सूजन हो तो गुनगुने पानी में अजवाइन के तेल की कुछ बूंदे डालकर कुल्‍ला करने से आराम मिलेगा।

– अजवाइन को भूनकर उसे पीसकर पाउडर बना लें। इससे ब्रश करने से मसूड़ों के दर्द और सूजन में राहत मिलती है।

– कई महिलाओं को पीरियड्स के वक्‍त कमर और पेट के निचले हिस्‍से में बहुत दर्द की शिकायत रहती है। ऐसे में गुनगुने पानी के साथ अजवाइन लेने से दर्द में आराम मिलता है। हां, इस बात का ध्‍यान रख‍िए कि अजवाइन की तासीर गरम होती है और अगर ब्‍लड फ्लो ज्‍यादा हो इसका इस्तेमाल बिलकुल भी नहीं करना चाहिए।

– यह तो हमने जान ही लिया कि अजवाइन पेट साफ करने में मदद करती है। ऐसे में जाहिर है कि अगर पेट साफ होगा तो मुंहासों नहीं आएंगे। अगर आपके चेहरे पर मुंहासे हैं तो दही के साथ थोड़े से अजवाइन पीसकर इस लेप को चेहरे पर लगाएं। जब लेप सूख जाए तब इसे गर्म पानी से साफ कर लें। कुछ ही दिनों में मुंहासे गायब हो जाएंगे।

पुदीना

पुदीना को आसानी से गमलें में लगाया जा सकता है। इसकी हर शाखा एक पौधा बन सकती है। इसके पत्तों का प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता है।

– पुदीने के ताजे पत्तों को मसलकर मूर्छित व्यक्ति को सुंघाने से मूर्छा दूर होती है।

– पेटदर्द और अरुचि में 3 ग्राम पुदीने के रस में जीरा, हींग, कालीमिर्च, कुछ नमक डालकर गर्म करके पीने से लाभ होता है।

– 10 ग्राम पुदीना व 20 ग्राम गुड़ दो सौ ग्राम पानी में उबालकर पिलाने से बार-बार उछलने वाली पित्ती ठीक हो जाती है।

– पुदीने को पानी में उबालकर थोड़ी चीनी मिलाकर उसे गर्म-गर्म चाय की तरह पीने से बुखार दूर होकर बुखार के कारण आई कमजोरी भी दूर होती है।

– उल्टी होने पर आप धनिया, सौंफ व जीरा समभाग में लेकर उसे भिगोकर पीस लें। फिर 100 ग्राम पानी मिलाकर छान लें। इसमें पुदीने का अर्क मिलाकर पीने से उलटी की समस्या से निजात मिलती है।

– तलवे में गर्मी के कारण आग पड़ने पर पुदीने का रस लगाना लाभकारी होता है।

– हिचकी होने पर हरे पुदीने की 20-25 पत्तियां, मिश्री व सौंफ 10-10 ग्राम और कालीमिर्च 2-3 दाने इन सबको पीस लें और सूती, साफ कपड़े में रखकर निचोड़ लें। इस रस की एक चम्मच मात्रा लेकर एक कप कुनकुने पानी में डालकर पीने से हिचकी बंद हो जाती है।

– हरा पुदीना पीसकर उसमें नींबू के रस की दो-तीन बूंद डालकर चेहरे पर लेप करें। कुछ देर लगा रहने दें। बाद में चेहरा ठंडे पानी से धो डालें। कुछ दिनों के प्रयोग से मुंहासे दूर हो जाएंगे तथा चेहरे की खोई रोनक वापस लौट आएगी।

– हैजे में पुदीना, प्याज का रस, नींबू का रस बराबर-बराबर मात्रा में मिलाकर पिलाने से लाभ होता है। उल्टी-दस्त, हैजा हो तो आधा कप पुदीना का रस हर दो घंटे से रोगी को पिलाएं।

– पुदीने और सौंठ का क्वाथ बनाकर पीने से सर्दी के कारण होने वाले बुखार में राहत मिलती है।

अश्वगंधा

अश्वगंधा एक झाड़ी नुमापौधा है। इसका वानस्पतिक नाम विथैनिया सोमनीफेरा है। आयुर्वेद विशेषज्ञों का मानना है कि अश्वगंधा का इस्तेमाल कई शारीरिक समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है। इसमें सेहत के लिए कई छोटे-बड़े गुण छिपे हुए हैं।

– सेक्स पावर, सेक्स में इच्छी की कमी, वीर्य में कमी, शीघ्रपतन जैसी समस्याओं में अश्वगंधा का सेवन फायदेमंद साबित होता है।

– तनाव, चिंता, मानसिक समस्या में अश्वगंधा का सेवन रूर करना चाहिए। इसमें मौजूद औषधीय गुण तनाव दूर करने में काफी मदद करता है। अश्वगंधा में एंटी-स्ट्रेस गुण तनाव से राहत दिलाता है।

– अच्छी नींद के लिए भी अश्वगंधा का सेवन किया जा सकता है।

– दिल संबंधित बीमारियों का खतरा भी अश्वगंधा के सेवन से कम हो जाता है। इसमें एंटीआक्सीडेंट और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक होते हैं। इसका सेवन से दिल की मांसपेशियां मजबूत होती है और बैड कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करता है।

– अश्वगंधा के सेवन करने से डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है।।

– अश्वगंधा में पाए जाने वाले एंटी-इंफ्लेमेट्री गुण लिवर में होने वाली सूजन की समस्या दूर करने में सहायक होता है। यह सूजन कम करता है।

– अश्वगंधा का सेवन करने से इस घातक बीमारी से भी बचा जा सकता हैं। इसमें मौजूद एंटी-ट्यूमर गुण वैकल्पिक उपचार के लिए काफी अच्छा माना जाता है।

अडूसा

अडूसा का वैज्ञानिक नाम अधाटोडा वासिका है। अडूसा के पत्ते, फूल, जड़ों और छाल का आयुर्वेद में हजारों साल से प्रयोग होता आया है। इसमें जीवाणुरोधी, सूजन को कम करने वाले और रक्त को शुद्ध करने वाले गुण होते हैं। मालाबार नट श्वसन रोगों के लिए आयुर्वेद में इस्तेमाल की जाने वाली मुख्य औषधीयों में से एक है।

– बिच्छू के जहर को निकालने के लिए काले अडूसा की जड़ को ठंडे पानी में घिसकर काटे हुए स्थान पर इसका लेप करें।

– मुँह में छाले हो जाने पर अडूसा के 2-3 पत्तों को चबाकर उसके रस को चूसने से फ़ायदा होता है। पत्तों को चूसने के बाद थूक दें।

– अडूसा की लकड़ी से नियमित रूप से ब्रश करने से दांत और मुंह के अनेक रोग दूर हो जाते हैं।

– अडूसा के पके हुए पत्तों को गर्म करके सिंकाई करने से जोड़ों का दर्द, लकवा और दर्दयुक्त चुभन में आराम मिलता है।

– हरड़, बहेड़ा, आंवला, वासा, गिलोय, कटुकी, पिपली की जड़ को बराबर मात्रा में मिलाकर इसका काढ़ा तैयार कर लें। इस काढ़े में 20 ग्राम शहद मिलाकर सेवन करने से बुखार में लाभ मिलता है।

– जिनको साइनस की परेशानी और एलर्जी है, वे अडूसा की ताजी पत्तियों का रस निकालकर 3 – 4 बूँद रस को नाक में डालें। इससे साइनस में लाभ होगा।

– अडूसा में सूजन को कम करने वाले गुण होते हैं। यह अस्थमा में मदद करता है और वायुमार्ग और फेफड़ों की सूजन को कम करता है।

– अडूसा में पाया गया वासीसीन कम्पाउन्ड ब्रोन्कोोडिलेटर है, जो साँस लेने की प्रक्रिया को आसान बनाता है और अस्थमा के कारण हो रही घरघराहट को कम करता है।

– अडूसा टी।बी। या तपेदिक में बहुत लाभ करता है इसका किसी भी रूप में नियमित सेवन करने वाले को खांसी से छुटकारा मिलता है।

– अडूसा के पत्तों में जीवाणुरोधी और सूजन को कम करने वाले गुण होते हैं। पत्तियों से लेप तैयार करें और प्रभावित क्षेत्रों पर लगाएँ। यह जीवाणुरोधी होने के कारण घाव को ठीक करने में भी मदद करता है।

– दस्त और पेचिश के उपचार के लिए में इसकी पत्तियों का रस 2 से 4 ग्राम की मात्रा देना चाहिए। इसके अलावा पाइल्स में अडूसा के काढ़े को पीने से आराम होता है।

रोजमेरी

रोजमेरी का पौधा एंटीऑक्सीडेंट के लिए बेस्ट है। इस बारहमासी जड़ीबूटी का वैज्ञानिक नाम है रोजमेरिन ऑफिसिनलिस है। रोजमेरी के सबसे अच्छे स्वास्थ्य लाभों में याददाश्त में सुधार, मूड में सुधार, सूजन को कम करने, दर्द को दूर करने, प्रतिरक्षा प्रणाली की सुरक्षा, रक्त परिसंचरण को बेहतर बनाने, शरीर से विषाक्त पदार्थ निकालना, शरीर को जीवाणु संक्रमण से बचाने, समय से पहले उम्र बढ़ने से रोकना आदि शामिल हैं।

– रोजमेरी की सुगंध को मूड में सुधार, मन को शांत रखने और चिंता या तनाव से राहत दिलाने के लिए उपयोग किया जाता है।

– रोजमेरी में एंटीऑक्सीडेंट, सूजन को कम करने वाले और एंटी-कार्सिनोजेनिक गुण होते हैं। यह विभिन्न रोगों और बाहरी तत्वों के खिलाफ आपके शरीर की रक्षा करता है जो प्रतिरक्षा प्रणाली को खतरा पहुचा सकते हैं।

– रोजमेरी के प्रतिरक्षा बढ़ाने वाले गुणों को काफी प्रभावशाली माना जाता है। यह विशेष रूप से बैक्टीरिया के संक्रमण के खिलाफ शक्तिशाली होता है, विशेषकर पेट के बैक्टीरिया।

– रोजमेरी ख़राब पेट, कब्ज, सूजन, दस्त आदि के लिए एक प्राकृतिक उपाय के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसके सूजन को कम करने वाले और उत्तेजक गुण काफी हद तक कब्ज, सूजन, दस्त का इलाज कर सकते हैं, इसलिए सप्ताह में एक बार इसका सेवन ज़रूर करना चाहिए।

– रोजमेरी सांस की बदबू को दूर करने में मदद करता है।

– रोजमेरी शरीर के लिए उत्तेजक के रूप में कार्य करता है और लाल रक्त कोशिकाओं के बनने और रक्त प्रवाह को बढ़ा देता है।

– दर्द से प्रभावित जगह पर इसके पेस्ट का उपयोग बहुत ही लाभकारी साबित होता है। जब यह मौखिक रूप से खाया जाता है तो यह एक दर्द निवारक के रूप में कार्य करता है।

– रोजमेरी एक मूत्रवर्धक के रूप में कार्य करता है, जिसका अर्थ है कि यह पेशाब के दौरान अधिक कुशलतापूर्वक विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद कर सकता है।

– रोजमेरी को बुढ़ापे को रोकने वाले गुणों के लिए काफी अच्छी तरह से जाना जाता है। रोजमेरी के पत्ते भी आंतरिक रूप से या विषम रूप से त्वचा को प्रभावित कर सकते हैं और त्वचा की युवा गुणवत्ता को सुधारने के लिए लाभकारी होते हैं।

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