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आज सकट चौथ पर ऐसे गणपति जी को करें प्रसन्न, जानें व्रत की विधि

Vinayak Chaturthi

Vinayak Chaturthi

पंचांग के अनुसार, माघ मास (Magh Month) के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सक​ट चौथ कहते हैं. इसे सकंटा चौथ, तिलकुट चौथ, तिल चौथ, माघी चौथ, संकष्टी चतुर्थी आदि नामों से भी जानते हैं.

इस वर्ष सकट चौथ 21 जनवरी दिन शुक्रवार को है. इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखेंगी और भगवान गणेश जी की पूजा करेंगी. विधिपूर्वक व्रत और पूजा करने से गणेश जी प्रसन्न होते हैं और सुखी जीवन का अशीर्वाद देते हैं.

आइए जानते हैं कि सकट चौथ की व्रत एवं पूजा विधि (Vrat And Puja Vidhi) क्या है? आप भी इस प्रकार से व्रत और पूजा करके गणपति बप्पा की कृपा प्राप्त कर सकते हैं.

सकट चौथ व्रत एवं पूजा विधि

  1. सकट चौथ से एक दिन पूर्व सात्विक भोजन करें. तामसिक वस्तुओं और विचारों का सेवन बंद कर दें. व्रत और पूजा के लिए तन, मन और कर्म से शुद्ध हो जाएं.
  2. सकट चौथ के दिन प्रात:काल में गंगाजल बाल्टी में डालकर स्नान करें. उसके बाद पीले या लाल वस्त्र धारण करें. पूजा स्थान की सफाई कर लें.
  3. हाथ में जल, अक्षत् और फूल लेकर सकट चौथ व्रत एवं गणेश जी की पूजा का संकल्प लें.
  4. अब सुबह में दैनिक पूजा कर लें. इस दिन सौभाग्य योग सुबह से लेकर दोपहर 03 बजकर 06 मिनट तक है. सुबह 09:43 बजे तक​ मघा नक्षत्र है, जो मांगलिक कार्यों के लिए अच्छा नहीं है. आप सुबह 09:43 बजे के बाद सकट चौथ की पूजा करें.
  5. एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित करें. फिर गणेश जी का गंगाजल से अभिषेक करें. फिर चंदन या रोली लगाएं.
  6. अब अक्षत्, लाल पुष्प, दूर्वा, फल, जनेऊ, सुपारी, पान का पत्ता, हल्दी, दही, शहद, मोदक, वस्त्र, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें. गणेश जी को तुलसी का पत्ता न अर्पित करें.
  7. सकट चौथ पर गणेश जी को तिल से बने खाद्य पदार्थों का भोग लगाएं. इसे तिल चौथ या तिलकुट चौथ भी इस वजह से कहते हैं.
  8. अब गणेश चालीसा का पाठ करें, फिर सकट चौथ व्रत कथा का श्रवण करें. इसके बाद चाहें तो गणेश मंत्र का जाप कर सकते हैं. पूजा के अंत में कपूर या गाय के घी वाले दीपक से गणेश जी की आरती करें.
  9. इसके बाद गरीब या किसी ब्राह्मण को दान करें. दिनभर निर्जला व्रत रहते हुए भगवत भजन करें.
  10. सकट चौथ को चंद्रोदय रात 09:00 बजे होगा. चंद्रमा का दर्शन करें. जल में दूध, अक्षत्, शक्कर और फूल मिला लें और उसे अर्पित करें.
  11. अंत में गणेश जी के समक्ष जाकर प्रणाम करें और अपनी मनोकामना व्यक्त कर दें. फिर पारण करके व्रत को पूरा करें.
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