वाराणसी। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने सोमवार को वाराणसी के 125 वर्षीय योगाचार्य स्वामी शिवानन्द (Swami Sivananda) को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया। योग के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित स्वामी शिवानंद (Swami Sivananda) की विनम्रता और सादगी देख राष्ट्रपति भवन में मौजूद मेहमान भी दंग रह गये। पुरस्कार लेने के पूर्व स्वामी शिवानंद ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को तीन बार जमीन पर दंडवत झुक कर शीश नवाया। यह देख प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी कुर्सी से उठकर स्वामी शिवानंद को झुककर विनम्रता से प्रणाम किया। सोशल मीडिया में इस भावुक पल को देख यूजर स्वामी शिवानंद और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जमकर सराहना करते रहे।
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#WATCH Swami Sivananda receives Padma Shri award from President Ram Nath Kovind, for his contribution in the field of Yoga. pic.twitter.com/fMcClzmNye
— ANI (@ANI) March 21, 2022
बताते चलें, राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने 125 वर्षीय स्वामी शिवानन्द सहित 54 लोगों को पद्म श्री पुरस्कार, दो व्यक्तियों को पद्म विभूषण, आठ को पद्म भूषण प्रदान किया। देश के पहले प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत को मरणोपरांत पद्म विभूषण से नवाजा गया। उनकी दोनों बेटियों ने राष्ट्रपति से यह पुरस्कार प्राप्त किया। गीता प्रेस के अध्यक्ष राधेश्याम खेमका को भी मरणोपरांत पद्म विभूषण से नवाजा गया। उनके पुत्र कृष्ण कुमार खेमका को उनका पुरस्कार प्राप्त किया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
स्वामी शिवानन्द योग से खुद को रखते हैं स्वस्थ
125 वर्षीय स्वामी शिवानन्द को योग के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए यह पद्मश्री सम्मान दिया गया है। स्वामी शिवानन्द का मानना है कि योग और प्राणायाम को अपनाकर लंबी और निरोगी उम्र पाई जा सकती है। पहले लोग इन्हीं जीवन पद्धतियों को अपनाकर 100 साल से भी ज्यादा जीते थे। स्वामी शिवानन्द का जन्म 08 अगस्त 1896 को सिलेट जिले के हरीपुर गांव में हुआ था, जो इस समय बांग्लादेश में है।
CDS रावत पद्म विभूषण से सम्मानित, दोनों बेटियों ने लिया पिता का पुरस्कार
स्वामी शिवानंद का मानना है कि योग, प्राणायाम और घरेलू औषधियों का सेवन स्वस्थ रहने की कुंजी है। नियमित दिनचर्या में इसे शामिल करना चाहिए। स्वामी जी प्रति दिन सुबह तीन बजे जगते हैं। स्नान और नित्य क्रिया करने के बाद वह भगवत भक्ति में लीन हो जाते हैं। वे उबला खाना और सेंधा नमक खाते हैं।