बुलंदशहर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने प्लेटिनम की कारीगरी से खुर्जा में बना एक आकर्षक ‘टी सेट’ खास तोहफे के तौर पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) को दिया।
बुलंदशहर के जिलाधिकारी सीपी सिंह ने बुधवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि जर्मनी में आयोजित विभिन्न देशों के शिखर सम्मेलन में हिस्सा ले रहे पीएम मोदी ने खुर्जा की मशहूर मिन्हास पॉटरी में तैयार किया गया यह खास ‘टी सेट’ जॉनसन भेंट किया। टी सेट बनाने वाली पॉटरी के निदेशक कुलजीत मिन्हास ने बताया कि विगत 03 जून को लखनऊ में आयोजित निवेश सम्मेलन में उन्हें बताया गया कि ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ के शासन के 75 वर्ष पूर्ण होने पर ‘प्लेटिनम जुबली’ आयोजित की गयी है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी की ओर से खुर्जा की मशहूर शिल्पकारी से युक्त एक आकर्षक गिफ्ट तैयार किए जाने के लिए उनसे कहा गया था।
मिन्हास ने बताया कि उन्होंने खास किस्म की शिल्पकारी ‘ब्लू आर्ट’ के 05 अनुभवी शिल्पकारों को इस कार्य में लगाया। शिल्पकारों की 10 दिन की अथक मेहनत के बाद प्लेटेनियम धातु से युक्त आकर्षक टी सेट बनाया गया। जिसे प्रधानमंत्री मोदी द्वारा जॉनसन और उनके के माध्यम से ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ को उपहार स्वरूप भेजा गया है। उनका कहना है की इसमें खुर्जा ही नहीं बल्कि पूरे राष्ट्र का गौरव जुड़ा हुआ है।
गौरतलब है कि खुर्जा के पॉटरी उद्योग का इतिहास 600 वर्ष पुराना बताया जाता है। अभिलेखों से पता चलता है कि तैमूर लंग के भारत आगमन के दौरान तुर्की, सीरिया और खुरासान आदि देशों से कुंभ कार्य में दक्ष कुछ कारीगर यहां आकर बसे थे। ये लोग स्थानीय मिट्टी के लाल बर्तनों को चाक पर बनाकर ‘पर्शियन मुगल शैली’ में नक्काशी व हस्त पेंटिंग का कार्य कर सजावटी बर्तन, मस्जिद, मंदिर व अन्य बड़ी हवेलियों तथा किलों पर लगने वाली मीनारें बनाकर बेचते थे।
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इन कुशल कारीगरों की ओर दुनिया का ध्यान तब गया जब 1911 में ब्रिटेन की राजधानी लंदन के अंदर लगी एक प्रदर्शनी में इनके द्वारा चाक पर बनाए गए पात्रों ने दुनिया के तमाम देशों को पॉटरी शिल्पकला में पछाड़कर प्रथम स्थान प्राप्त किया था।
इसके बाद ब्रिटिश राज में तत्कालीन मध्य प्रांत की सरकार ने 1934 में इंग्लैंड से उच्च तकनीकी शिक्षा प्राप्त एच एन राय को सफेद मिट्टी पर कार्य करने के लिए खुर्जा भेज कर उनके दिशानिर्देशन में इस शिल्पकला को फलने फूलने का भरपूर अवसर दिया था।
आजादी के बाद 1985 में खुर्जा नगर में स्थापित केंद्रीय कांच एवं सिरेमिक अनुसंधान संस्थान, भारत सरकार का एकमात्र ऐसा संस्थान है, जिसके वैज्ञानिकों ने क्रोकरी, इलेक्ट्रॉ सेरेमिक, कोटिंग सेरेमिक और इलेक्ट्रिक इंसुलेटर सहित अन्य सजावटी सामान के क्षेत्र में उत्पादन की नई तकनीकें विकसित कीं। इन नई तकनीकों को अपनाकर खुर्जा के उद्यमी देश के अलावा दुनिया के 15 विकसित देशों में अपने उत्पाद निर्यात कर रहे हैं।