नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को सुबह 11 बजे मन की बात कार्यक्रम के जरिए देश को संबोधित किया। यह इस रेडियो प्रोग्राम का 79वां एपिसोड है। इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि आपने अंग्रेजी की एक कहावत सुनी होगी – “To Learn is to Grow” यानि सीखना ही आगे बढ़ना है। जब हम कुछ नया सीखते हैं, तो हमारे लिए प्रगति के नए-नए रास्ते खुद-ब-खुद खुल जाते हैं। जब भी कहीं लीग से हटकर कुछ नया करने का प्रयास हुआ है, मानवता के लिए नए द्वार खुले हैं, एक नए युग का आरंभ हुआ है और आपने देखा होगा जब कहीं कुछ नया होता है तो उसका परिणाम हर किसी को आश्चर्यचकित कर देता है।
अगर मैं आपसे पूछूं कि वो कौन से राज्य हैं, जिन्हें आप सेब के साथ जोड़ेंगे? तो जाहिर है कि आपके मन में सबसे पहले हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड का नाम आएगा। पर अगर मैं कहूं कि इसमें आप मणिपुर को भी जोड़ दीजिये तो शायद आप आश्चर्य से भर जाएंगे। कुछ नया करने के जज्बे से भरे युवाओं ने मणिपुर में ये कारनामा कर दिखाया है। आजकल मणिपुर के उखरु जिले में सेब की खेती जोर पकड़ रही है। यहां के किसान अपने बागानों में सेब उगा रहे हैं । सेब उगाने के लिए इन लोगों ने बाकायदा हिमाचल जाकर ट्रेनिंग भी ली है।
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टीएस रिंगफमी यंग ये पेशे से एक एरोनॉटिकल इंजीनियर हैं। उन्होंने अपनी पत्नी टीएस एंजेल के साथ मिलकर सेब की पैदावार की है। इसी तरह, आउग्सी शिमरे ऑगस्टिना ने भी अपने बागान में सेब का उत्पादन किया है। अवुन्गशी दिल्ली में जज्ञॅब करती थीं । ये छोड़ कर वो अपने गाँव लौट गई और सेब की खेती शुरू की । मणिपुर में आज ऐसे कई सेब उत्पादक हैं, जिन्होंने कुछ अलग और नया करके दिखाया है । हमारे आदिवासी समुदाय में बेर बहुत लोकप्रिय रहा है।
आदिवासी समुदायों के लोग हमेशा से बेर की खेती करते रहे हैं, लेकिन कोरोना महामारी के बाद इसकी खेती विशेष रूप से बढ़ती जा रही है। त्रिपुरा के उनाकोटी के ऐसे ही 32 साल के मेरे युवा साथी हैं बिक्रमजीत चकमा । उन्होंने बेर की खेती की शुरूआत कर काफी मुनाफा भी कमाया है और अब वो लोगों को बेर की खेती करने के लिए प्रेरित भी कर रहे हैं।