नई दिल्ली। इस्लामिक कैलेंडर के पहले महीने का नाम मुहर्रम है। मुसलमानों के लिए यह सबसे पवित्र महीना होता है। इस महीने से इस्लाम का नया साल शुरू हो जाता है। मोहर्रम महीने की 10 तारीख को रोज-ए-आशुरा कहा जाता है।
इसी दिन इमाम हुसैन और उनके 71 साथियों की शहादत हुई थी। इन शहीदों में सबसे छोटा शहीद 6 महीने के इमाम हुसैन के बेटे अली असगर थे। मुहर्रम का यह सबसे अहम दिन माना गया है। इसे गम के महीने के तौर पर मनाया जाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मोहर्रम पर इमाम हुसैन की शहादत को याद किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इमाम हुसैन के लिए न्याय और सच सर्वोपरि था।
CM योगी की सुरक्षा में तैनात 4 पुलिसकर्मी मिले कोरोना पॉजिटिव, किया आइसोलेट
पीएम मोदी ने ट्वीट किया, “हम इमाम हुसैन की शहादत को याद कर रहे हैं। उनके लिए न्याय और सच से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ और नहीं था। समानता और निष्पक्षता पर उनका जोर उल्लेखनीय है और बहुतों को ताकत देता है।”
We recall the sacrifice of Imam Hussain (AS). For him, there was nothing more important than the values of truth and justice. His emphasis on equality as well as fairness are noteworthy and give strength to many.
— Narendra Modi (@narendramodi) August 30, 2020
बता दें कि आज से लगभग 1400 साल पहले तारीख-ए-इस्लाम में कर्बला की जंग हुई थी। ये जंग जुल्म के खिलाफ इंसाफ के लिए लड़ी गई थी।
मृणाल ठाकुर ने बताया- जब अवॉर्ड फंक्शन में एक्ट्रेस को दिखाया गया था नीचा
इस जंग में पैगंबर मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों को शहीद कर दिया गया था। इन सभी को सिर्फ हक, इंसानियत और सच के रास्ते पर चलने की वजह से यजीद नाम के एक शासक द्वारा मार दिया गया था। इस वजह से मोहर्रम का पूरा महीना गम का महीना माना जाता है।