पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बाढ़ संबंधी हालात को लेकर प्रधानमंत्री ने यहां के प्रशासन से विस्तृत जानकारी ली। पीएम मोदी फोन कर स्थिति का जायजा लिया और हर संभव मदद दिलाने का आश्वासन दिया।
दरअसल, राजस्थान और मध्य प्रदेश में हुई बारिश और बांधों से छोड़े गए पानी से यूपी के कई जिलों में नदियां उफान पर हैं। उफनाई नदियों के गुस्से से वाराणसी भी अछूता नहीं है। वाराणसी में गंगा खतरे के निशान से ऊपर बह रही है और अभी भी लगातार जलस्तर बढ़ रहा है। जिससे न केवल शहरी इलाके, बल्कि गांव में भी जलप्रलय जैसे हालात पैदा हो गए हैं। सब्जियों की खेती के लिए खास तौर से मशहूर वाराणसी के रमना गांव की स्थिति तो ऐसी है कि यहां आधे से ज्यादा गांव जलमग्न हो चुके हैं और गांव के खेत के ज्यादातर हिस्से में गंगा का पानी आ जाने से वहां नाव चल रही है।
ग्राम प्रधान की अगुवाई में ग्रामीणों ने तटबंध न बनने की स्थिति में 2022 विधानसभा चुनाव में मतदान के बहिष्कार की चेतावनी भी दे दी है। अब पीएम मोदी ने खुद फोनकर स्थिति का जायजा लिया है।
काशी में गंगा का रौद्र रूप जारी, कॉलोनियों में घुसा पानी, गांव हुए जलमग्न
वाराणसी के रोहनिया विधानसभा का रमना गांव लंका क्षेत्र में आता हैं। बाढ़ की मार गांव की लगभग 40 हजार की आबादी को झेलनी पड़ रही है। गांव को जोड़ने वाले दो मार्ग जलमग्न हो चुके है। सिर्फ एक ही सड़क मार्ग से गांव में आवागमन हो पा रहा है। वाराणसी में गंगा में लगातार बढ़ाव जारी है और गंगा खतरे के निशान से आधे मीटर से भी ऊपर बह रही है। जिसके चलते रमना गांव का आंगनबाड़ी केंद्र, स्वास्थ्य उपकेंद्र, सामुदायिक शौचालय और गंगा किनारे अंत्येष्टि स्थल जलमग्न हो चुके हैं। गांव की 70 प्रतिशत आबादी सब्जियों की खेती पर ही निर्भर करती है लेकिन गंगा में आई बाढ़ के चलते आधे से ज्यादा खेत डूब चुके हैं।
यहां के निवासी सुजीत सिंह ने बताया कि आपदा के बाद मुआवजा के लिए सर्वे अंग्रेजी हुकूमत की तरह होता है, जिससे कभी दो सौ, ढाई सौ या पांच सौ रूपए ही कुछ किसानों को मिल पाता है। उन्होंने बताया कि बगैर तटबंध बनाए उनके गांव में बाढ़ के पानी को रोका नहीं जा सकता। तटबंध बनाने का सर्वे भी पहले हो चुका है। अभी के बाढ़ में इस बार कोई भी विधायक या मंत्री या अधिकारी उनके गांव में नहीं आया है। जबकि गांव में बाढ़ आए एक हफ्ते से अधिक हो चुका है।