श्री काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सोमवार को रेवती नक्षत्र में भार्गव मुहूर्तानुसार श्लेषा नाड़ी में दिन में 1.37 बजे से 1:57 बजे के बीच करेंगे। ये शुभ समय अयोध्या में श्री राम मंदिर निर्माण शिलान्यास के लिए मुहूर्त निकालने वाले आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्रविण ने निकाला है।
आचार्य द्रविण ने धाम लोकार्पण का शुभ मुहूर्त का समय बताकर कहा है कि विक्रम संवत 2078 शालिवाहनशक,1943 शुक्ल पक्ष दशमी तिथि सोमवार के दिन रेवती नक्षत्र और श्लेषा नाड़ी का काल 20 मिनट का है। इसी कालखंड में लोकार्पण सर्वोत्तम होगा। दिन के आठवां होरा चंद्रमा का है। उसमें धाम के लोकार्पण का कार्य करना श्रेयष्कर होगा। इसके साथ ही बन रहा मातंग योग कुल की अभिवृद्धि करेगा। शिव मस्तक पर विराजमान चंद्रमा भी इस कार्य में सहायक होंगे। इस योग में धार्मिक कार्य होने से देश और समाज का सौभाग्य बढ़ता है।
प्रतिष्ठा महोत्सव के पूर्व कर्मकांड विधि का अनुष्ठान चंद्रहोरा में प्रारंभ करना शुभ फलदायक होगा। काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण करने आ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन पर शहर में देव दीपावली सरीखा नजारा देखने को मिलेगा।
धाम के लोकार्पण के समय प्रधानमंत्री के साथ देश के प्रमुख शंकराचार्य, महामंडलेश्वर, श्री महंत सहित सनातन धर्म के सभी संप्रदायों के प्रमुख भी मौजूद रहेंगे।
काशी विश्वनाथ धाम शनिवार को 33 महीने मशीनों का शोर थमने के साथ ही शांत वातावरण में फूलों से महकने लगा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को मां गंगा को साक्षी मानकर 54 हजार वर्गमीटर में बनकर तैयार काशी विश्वनाथ धाम को विश्व को समर्पित करेंगे।
काशी विश्वनाथ धाम के मणिमाला के मंदिरों में वेद मंत्रोच्चारण के बीच देवविग्रह और शिवलिंगों को मंदिरों में विधि विधान से स्थापित किया गया। काशी और दक्षिण भारत के विद्वानों के आचार्यत्व में 22 देवमूर्तियों को स्थापित किया गया। पुन: प्रतिष्ठा विधि की पूर्णाहुति में चारों वेदों का पारायण हुआ।
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काशी विश्वनाथ धाम में महामंडलेश्वर 108 आशुतोष प्रखर महाराज एवं संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ल की उपस्थिति में देव विग्रह व शिवलिंग अपने स्थान पर पुनर्स्थापित हुए। सांग्वेद विद्यालय एवं गीर्वाणवाग्वर्धिनी सभा की देखरेख में वेदमूर्ति अरुण दीक्षित के आचार्यत्व में पं. विश्वेश्वर शास्त्री द्राविड़ एवं गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ के मार्गदर्शन में हेमंत मोघे ने 22 देवताओं की पुन:स्थापना की।
इस दौरान के वेंकट रमण घनपाठी, माधव जनार्दन रटाटे, चंद्रशेखर द्राविड़, मदनकृष्ण नागर, जयकृष्ण दीक्षित, सुनील दीक्षित, दत्तात्रेय नारायण रटाटे, अरुण कुमार झा, श्री निवास पुराणिक, कृष्णगोपा शर्मा, राजराजेश्वर द्राविड़, वेंकटेश्वर द्राविड़ मौजूद रहे। कार्यक्रम के यजमान अपर कार्यपालक अधिकारी निखिलेश कुमार मिश्र रहे।
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प्रधानमंत्री को मेटल रिपोजी क्राफ्ट का त्रिशूल और लकड़ी का कमल भेंट किया जाएगा
श्री काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के लिए अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में आ रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को प्रदेश के मुख्यमंत्री रुद्राक्ष जड़ित जरदोजी अंगवस्त्र, मेटल रिपोजी क्राफ्ट का त्रिशूल और लकड़ी का कमल भेंट करेंगे। जीआई पंजीकृत हस्तशिल्प को पद्मश्री,डा. रजनीकांत की पहल पर काशीपुरा निवासी विजय कसेरा, रमेश कसेरा और अनिल कसेरा ने खास तौर पर तैयार किया है।
लल्लापुरा निवासी मुमताज अली ने जरी-जरदोजी एवं रेशम का प्रयोग करते हुए पंचमुखी रुद्राक्ष के 24 दानों को लगाकर अंगवस्त्र तैयार किया है। माना जा रहा कि इस कार्य से पर्यटन के साथ-साथ काशी एवं पूर्वांचल के हस्तशिल्प एवं हथकरघा उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। रोजगार के अवसर भी मिलेंगे बढ़ेंगे।