अयोध्या। अयोध्या में रामजन्मभूमि स्थल पर मंदिर निर्माण से पहले बुधवार को यहां भूमि पूजन का बड़ा कार्यक्रम हो रहा है, जहां मंदिर का शिलान्यास होना है। इसके लिए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या आ रहे हैं। पीएम ही मंदिर के मंदिर के निर्माण के लिए नींव की ईंट रखेंगे। जानकारी है कि इस दौरान पीएम मोदी श्रीराम जन्मभूमि परिसर में पारिजात का पौधा लगाएंगे।
आइए जानते है आखिर इस पौधे की ऐसी क्या खासियत है कि इसे भूमि पूजन समारोह का हिस्सा बनाया जा रहा है-
– ईश्वर की आराधना में पारिजात के फूलों का विशेष स्थान है। फूल, पवित्र और शुद्धता के प्रतीक माने जाते हैं इसलिए देवताओं को यह खूब भाते हैं। इस खूबसूरत दुनिया में रंग-बिरंगे अनेक फूल मौजूद हैं, जिनमें से एक है परिजात का फूल। परिजात का फूल देखने में अलौकिक प्रतीत होता है लेकिन इसके उद्भव से जुड़ी कहानी इससे भी कहीं ज्यादा अद्भुत है।
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– परिजात के वृक्ष की खासियत है कि जो भी इसे एक बार छू लेता है उसकी थकान चंद मिनटों में गायब हो जाती है। उसका शरीर पुन: स्फूर्ति प्राप्त कर लेता है। हरिवंशपुराण के अनुसार स्वर्ग की अप्सरा उर्वशी परिजात के वृक्ष को छूकर ही अपनी थकान मिटाती थी।
– पारिजात का वृक्ष ऊंचाई में दस से पच्चीस फीट तक का होता है। इसके इस वृक्ष की एक खास बात ये भी है कि इसमें बहुत बड़ी मात्रा में फूल लगते हैं। एक दिन में इसके कितने भी फूल तोड़े जाएं, अगले दिन इस फिर बड़ी मात्रा में फूल खिल जाते हैं। पारिजात, हरसिंगार – आर्थराइटिस, दर्द …- पारिजात के पौधे को रात की रानी भी कहा जाता है क्योंकि इसके फूल रात में ही खिलते है और सुबह होते ही वह झड़ जाते है।
– कहा जाता है कि धन की देवी लक्ष्मी को पारिजात के फूल अत्यंत प्रिय हैं। पूजा-पाठ के दौरान मां लक्ष्मी को ये फूल चढ़ाने से वो प्रसन्न होती हैं। खास बात ये है कि पूजा-पाठ में पारिजात के वे ही फूल इस्तेमाल किए जाते हैं जो वृक्ष से टूटकर गिर जाते हैं। पूजा के लिए इस वृक्ष से फूल तोड़ना पूरी तरह से निषिद्ध है।
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– पारिजात अपने औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है। हर दिन इसके एक बीज के सेवन से बवासीर रोग ठीक हो जाता है। इसके फूल हृदय के लिए भी उत्तम माने जाते हैं। इनके फूलों के रस के सेवन से हृदय रोग से बचा जा सकता है। इतना ही नहीं पारिजात की पत्तियों को पीस कर शहद में मिलाकर खाने से सूखी खांसी भी ठीक हो जाती है। पारिजात की पत्तियों से त्वचा संबंधित रोग ठीक हो जाते हैं।
– एक मान्यता ये भी है कि 14 साल के वनवास के दौरान सीता माता हरसिंगार के फूलों से ही अपना श्रृंगार करती थीं।