कुशीनगर के महापरिनिर्वाण मंदिर में बुद्ध की प्राचीन प्रतिमा के समक्ष 20 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूजन अर्चन बौद्ध धर्म की महायान परम्परा के अनुसार होगा। पूजा सम्पन्न कराने के लिए केंद्रीय उच्च तिब्बत शिक्षा संस्थान (यूनिवर्सिटी) सारनाथ से लामा बौद्ध भिक्षु (प्रोफेसर) आयेंगे। प्रधानमंत्री कुशीनगर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट का उद्घाटन करने के लिए आ रहे हैं।
महायान परम्परा वर्तमान काल में प्रचलित बौद्ध धर्म की दो प्रमुख शाखाओं में से एक है। दूसरी शाखा का नाम थेरवाद है। महायान बुद्ध धर्म भारत से आरम्भ होकर एशियाई देशों चीन, जापान, कोरिया, ताइवान, तिब्बत, भूटान, मंगोलिया और सिंगापुर में फैल गया। तिब्बत के बौद्ध महायान परम्परा के अनुयाई हैं।
केंद्रीय संस्कृति सचिव अमिता प्रसाद साराभाई ने तिब्बत बौद्ध संस्थान सारनाथ से बौद्ध भिक्षुओं के आने की बात कही है। उन्होंने कहा कि तिब्बती प्रोफेसर आयेंगे। पूजा का स्वरूप क्या होगा और कौन मौजूद रहेंगे, यह उच्च स्तर पर तय होगा।
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दूसरी तरफ जिला प्रशासन ने कुशीनगर स्थित विभिन्न देशों की बौद्ध मॉनेस्ट्री से भी एक-एक बौद्ध भिक्षु के नाम का प्रस्ताव मांगा है। यहां पर म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड, कोरिया, इंडोनेशिया और भूटान के बौद्ध मॉनेस्ट्री स्थित हैं। इसके अतिरिक्त श्रीलंका से भी बौद्ध भिक्षुओं का डेलिगेशन आ रहा है। महापरिनिर्वाण मंदिर में पूजन के लिए किन किन बौद्ध भिक्षुओं की मौजूदगी होगी, इसका चयन जिला प्रशासन व उच्चस्तरीय टीम के द्वारा किये जाने की बात कही जा रही है। इस सम्बंध में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट पूर्ण बोरा ने बताया कि अभी कुछ भी पूरी तरह फाइनल नहीं है।