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पीएम मोदी बोले- कोरोना का खतरा बरकरार, फिर भी हम जीतेंगे कोविड-19 के खिलाफ जंग

कोविड-19 के खिलाफ जंग battle against covid-19

कोविड-19 के खिलाफ जंग

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पूर्व केंद्रीय मंत्री बालासाहेब विखे पाटिल की आत्मकथा ‘देह वीचवा करणी’ का विमोचन किया। साथ ही उन्होंने प्रवर रूरल एजुकेशन सोसाइटी का नाम बदलकर ‘लोकनेते डॉ. बालासाहेब विखे पाटिल प्रवर रूरल एजुकेशन सोसाइटी’ कर दिया।

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पीएम मोदी ने कहा कि बालासाहेब की कई पीढ़ी लगातार समाजसेवा कर रही हैं, वरना कुछ पीढ़ियां कम ताकतवर नजर आती हैं। उन्होंने कहा कि बालासाहेब ने सत्ता और राजनीति के जरिए समाज की भलाई का संदेश दिया। पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना का खतरा अब भी बरकरार है, लेकिन हम इसके खिलाफ जरूर जंग जीतेंगे। नए और पुराने तौर तरीकों के मेल का बहुत सटीक उदाहरण है गन्ने की फसल। अब गन्ने से एथेनॉल निकालने के लिए भी उद्योग लगाए जा रहे हैं। महाराष्ट्र में भी 100 के करीब ऐसे उद्योग चल रहे हैं और दर्जनों ऐसे उद्योगों को स्वीकृति मिल चुकी है।

कोल्ड चेन, मेगा फूड पार्क और एग्रो प्रोसेसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी अभूतपूर्व काम हुआ है। गांव के हाटों से लेकर बड़ी मंडियों के आधुनिकीकरण से भी किसानों को लाभ होने वाला है। पीएम किसान सम्मान निधि योजना से किसानों को छोटे छोटे खर्चे के लिए दूसरों के पास जाने से मुक्ति दिलाई है। इस योजना के तहत एक लाख करोड़ रुपये सीधे किसानों के बैंक खातों में ट्रांसफर किए जा चुके हैं।

किसानों, पशुपालकों और मछुआरों, तीनों को बैंकों से आसान ऋण मिल पाए, इसके लिए सभी को किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा दी गई है। गांवों की आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था में माइक्रो फाइनेंस का विशेष रोल है। मुद्रा जैसी योजना से गांव में स्वरोजगार की संभावनाएं बढ़ी हैं। यही नहीं बीते सालों में देश में सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी करीब सात करोड़ बहनों को तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक का ऋण दिया गया है।

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प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत महाराष्ट्र में बरसों से लटकी 26 परियोजनाओं को पूरा करने के लिए तेजी से काम किया गया। इनमें से 9 योजनाएं अब तक पूरी हो चुकी हैं। इनके पूरा होने से करीब-करीब 5 लाख हेक्टेयर जमीन को सिंचाई की सुविधा मिली है।

डॉक्टर बाला साहेब विखे पाटिल महाराष्ट्र के गांवों की एक और समस्या के समाधान को लेकर हमेशा प्रयासरत रहे। ये समस्या है पीने और सिंचाई के पानी की दिक्कत। महाराष्ट्र में पानी परिषदों के माध्यम से उन्होंने इस दिशा में एक जन आंदोलन खड़ा करने की कोशिश की थी।

चाहे वो एमएसपी को लागू करने, उसे बढ़ाने का फैसला हो, यूरिया की नीम कोटिंग हो, बेहतर फसल बीमा हो सरकार ने किसानों की हर छोटी-छोटी दिक्कतों को दूर करने का प्रयास किया है।
आज खेती को, किसान को अन्नदाता की भूमिका से आगे बढ़ाते हुए, उसको उद्यमी बनाने, उद्यमिता की तरफ ले जाने के लिए अवसर तैयार किए जा रहे हैं।

बालासाहेब विखे पाटिल जी के मन में ये प्रश्न ऐसे ही नहीं आया। जमीन पर दशकों तक उन्होंने जो अनुभव किया, उसके आधार पर उन्होंने ये बात कही। बालासाहेब विखे पाटिल के इस सवाल का उत्तर आज के ऐतिहासिक कृषि सुधारों में है। इस सोसायटी के माध्यम से गांव के युवाओं के शिक्षा और कौशल विकास को लेकर, गांव में चेतना जगाने के लिए उन्होंने जो काम किया वो हम भली-भांति जानते हैं। ऐसे में आज से प्रवर रूरल एजुकेशन सोसायटी के साथ भी बालासाहेब का नाम जुड़ना उतना ही उचित है।

जब देश में ग्रामीण शिक्षा की उतनी चर्चा भी नहीं होती थी, तब प्रूरल एजुकेशन सोसायटी के माध्यम से उन्होंने गांवों के युवाओं को प्रोत्साहित करने का काम किया। एक प्रकार से उनके लिए सहकारिता सबके साथ से सबके कल्याण का मार्ग थी। सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं, अटल जी की सरकार में मंत्री रहते हुए उन्होंने देश के अनेक क्षेत्रों में सहकारिता को बढ़ावा दिया, उसके लिए प्रयास किया।

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सहकारिता के महत्व पर उन्होंने लिखा है कि सहकारिता अभियान सच्चे अर्थों में निष्पक्ष होता है। इसका किसी भी जाति और पंथ से कोई सरोकार नहीं होता। डॉक्टर बालासाहेब विखे पाटिल ने गांव, गरीब और किसानों के दुख को, दर्द को नजदीक से देखा, समझा। इसलिए वो किसानों को एक साथ लाए, उन्हें सहकार से जोड़ा। ये उन्हीं का प्रयास है कि जो इलाका कभी अभाव में जीने को मजबूर था, आज उसकी तस्वीर बदल गई है।

गांव, गरीब के विकास के लिए, शिक्षा के लिए, उनका योगदान हो, महाराष्ट्र में कॉपरेटिव की सफलता का उनका प्रयास हो, ये आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरणा देगा। इसलिए, बालासाहेब विखे पाटिल के जीवन पर ये किताब हम सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने सत्ता और राजनीति के जरिए हमेशा समाज की भलाई का प्रयास किया। उन्होंने हमेशा इसी बात पर बल दिया कि राजनीति को समाज के सार्थक बदलाव का माध्यम कैसे बनाया जाए, गांव और गरीब की समस्याओं का समाधान कैसे हो?

गांव, गरीब, किसान का जीवन आसान बनाना, उनके दुख, उनकी तकलीफ कम करना, विखे पाटिल जी के जीवन का मूलमंत्र रहा है। डॉक्टर बालासाहेब विखे पाटिल की आत्मकथा का विमोचन आज भले हुआ हो लेकिन उनके जीवन की कथाएं आपको महाराष्ट्र के हर क्षेत्र में मिलेंगी। मैं राधाकृष्ण विखे पाटिल जी, उनके परिवार और अहमदनगर के सभी साथियों का आभारी हूं, जिन्होंने मुझे इस पुण्य अवसर से जुड़ने के लिए आमंत्रित किया। कार्यक्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस सहित कई अन्य नेता मौजूद रहे।

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