आगरा। ताज के शहर आगरा की हवा में जहर घुला हुआ है। साल दर साल शहर की वायु गुणवत्ता बद से बदतर होती जा रही है, वहीं यमुना नदी में सीवर गिरकर नाले में तब्दील कर चुका है। नवंबर के महीने में दिवाली से पहले और तीसरे सप्ताह में प्रदूषण स्तर बेहद खतरनाक स्तर पर रहा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक नवंबर में 4 दिन हवा की गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में, 13 दिन बेहद खराब श्रेणी में और 9 दिन खराब श्रेणी में रही।
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राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस आज है, लेकिन प्रदूषण नियंत्रण के लिए 15 से ज्यादा कानून और आगरा के लिए विशेष एयर एक्शन प्लान और रिवर एक्शन प्लान बना होने पर भी जमीन पर हालात नहीं सुधरे। डेढ़ साल पहले बने दोनों एक्शन प्लान कागजों में हैं और शहर के 20 लाख से ज्यादा लोग जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं। पिछले साल बेहतर थी नवंबर की हवा
बीते साल 2019 में शहर में न सीवर-पानी की लाइनों की खोदाई ज्यादा थी और न ही सड़क पर जाम था। ऐसे में हवा की गुणवत्ता पूरे महीने (नवंबर) ठीक रही। बीते साल नवंबर में 6 दिन तक हवा की गुणवत्ता सांस लेने लायक और अच्छी रही। 12 दिन एयर क्वालिटी इंडेक्स बेहतर रहा और 11 दिन हवा खराब श्रेणी में रही। केवल एक दिन ही वायु गुणवत्ता सूचकांक बेहद खराब श्रेणी में पहुंचा, जबकि इस साल 13 दिनों तक बेहद खराब श्रेणी रही।
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धूल में उड़ाया प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का जुर्माना
धूल के गुबार उड़ने पर उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने आगरा स्मार्ट सिटी, एडीए और जलनिगम पर 32 लाख रुपये का जुर्माना लगाया, लेकिन सरकारी विभागों ने धूल नियंत्रण के उपाय फिर भी नहीं किए। जुर्माना लगने के बाद भी एयर एक्शन प्लान में सरकारी विभागों ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई, जबकि शहर की हवा की गुणवत्ता पूरे महीने में 26 दिन तक खराब स्तर पर बनी रही। आरटीओ, नगर निगम, जलनिगम, एनएचएआई ने अपनी जिम्मेदारियां नहीं निभाईं।