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बिकरू काण्ड: पुलिसकर्मियों को लौटाने होंगे लाखों रुपए, जानें मामला

Bikru case

Bikru case

कानपुर के बिकरु (Bikaru Kand) गांव में पांच साल पहले एकसाथ 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी गई थी। हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे (Vikas Dubey) और उसके साथियों ने जिस तरह पुलिसकर्मियों की हत्या की थी, उससे पूरे देश में तहलका मच गया था। इस कांड में कई पुलिसकर्मी घायल भी हुए थे, जिनको प्राइवेट नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया था। इन सभी को गोलियां लगी थीं। खुद मुख्यमंत्री घायल पुलिसकर्मियों को देखने पहुंचे थे। लेकिन अब यही पुलिसवाले अपनी फ़रियाद लेकर भटक रहे हैं। क्योंकि, पुलिस विभाग उनसे इलाज में खर्च हुआ पैसा वापस मांग रहा है। नहीं देने पर सैलरी से काटने की बात कह रहा है।

इस बाबत विभाग ने नोटिस जारी किया है, जिसमें घायल होने के दौरान इलाज के लिए पुलिसकर्मियों को जो साढ़े 6 लाख रुपये दिए गए थे उसे वापस मांगा गया है। और तो और पैसा वापस न करने पर इन पुलिसकर्मियों को वार्निंग दी गई है कि अगर आपने पैसा वापस नहीं किया तो आपकी सैलरी से हर महीने 20 प्रतिशत के हिसाब से पैसा काट लिया जाएगा।

भाग के इस फरमान से पीड़ित पुलिसकर्मी कानपुर पुलिस अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं। हालांकि, इन सबका ट्रांसफर कानपुर से बाहर जिलों में हो चुका है। लेकिन फिर भी इनको विकास दुबे कांड का साया अभी तक नहीं छोड़ रहा है।

बिकरु कांड (Bikaru Kand) में बिठूर थाने के थानेदार कौशलेंद्र प्रताप सिंह, दारोगा सुधाकर पांडे, दारोगा अजय कश्यप, सिपाही अजय सिंह सेंगर और सिपाही शिव मूरत घायल हो गए थे। इन सबको विकास दुबे गैंग की गोलियां लगी थीं। उनके शरीर में आज भी गोलियों के निशान हैं।

उस समय पुलिस विभाग ने घायल पुलिसकर्मियों को जीवन रक्षक निधि से अलग-अलग साढ़े 6 लाख रुपये इलाज के लिए दिए थे। पुलिसकर्मियों ने कानपुर के रीजेंसी जैसे महंगे हॉस्पिटल में इस पैसे से अपना इलाज कराया था। उस समय पुलिसकर्मियों को यही लगा था कि ये सरकारी मदद है और उन्हें पैसा वापस नहीं लौटाना है। मगर पांच साल बाद उनसे ‘वसूली’ की जा रही है।

बीते बुधवार को पीड़ित पुलिसकर्मी कानपुर के ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर विनोद कुमार सिंह के ऑफिस उनसे मिलने पहुंचे और उन्हें अपनी व्यथा बताई। जिसपर कमिश्नर ने पुलिसकर्मियों को मदद का भरोसा दिया है।

पीड़ित पुलिसकर्मी ने कहा कि उन्होंने कोई जीवन रक्षक निधि नहीं मांगी थी। पता होता तो वे रुपये लेते ही नहीं, खुद से ही इलाज करा लेते। फिलहाल, मामले में ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर ने सभी को आश्वासन दिया है कि वह उनकी बात उच्च अधिकारी के सामने रखेंगे।

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