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भाजपा का दामन थामने के बाद सुहाना हुआ कौशल किशोर का राजनीतिक सफर

kaushal kishore

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करीब ढाई दशक तक राजनीति के गलियारों में तमाम उतार चढ़ाव देखने के बाद सांसद कौशल किशोर का राजनीतिक सफर अंतत: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थामने के बाद लगातार सुहाना बना हुआ है।

सामाजिक न्याय की वकालत कर राजनीति की सीढ़ियां चढ़ने वाले उत्तर प्रदेश में लखनऊ के मोहनलालगंज के सांसद कौशल किशोर ने बुधवार को मोदी सरकार में राज्य मंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण की।

25 जनवरी 1960 को लखनऊ में काकोरी क्षेत्र के बेगरिया गांव निवासी किसान कल्लू प्रसाद के घर जन्मे कौशल किशोर का रूझान 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद राजनीति की ओर बढ़ता चला गया। सामाजिक न्याय के पक्षधर कौशल किशोर जल्द ही क्षेत्र की जनता के बीच लोकप्रिय होने लगे मगर राजनीति की सीढ़ियां चढ़ना उनके लिये काफी मुश्किल भरा था।

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वर्ष 1989 में उन्होने पहली बार मलीहाबाद सुरक्षित सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर विधानसभा का चुनाव लड़ा जिसमें उन्हे करारी हार का सामना करना पड़ा लेकिन इस हार से उनका जोश ठंडा नहीं पड़ा और बाद में उन्होने 1991 और 1993 में भी किस्मत आजमायी मगर नतीजा सिफर रहा। हार पर हार का सिलसिला उनके मनोबल को नहीं तोड़ सका और आखिरकार 2002 में हुये चुनाव में उन्हे पहली बार जीत का स्वाद चखने को मिला,फलस्वरूप उन्हे तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार में राज्य मंत्री पद का तोहफा मिला। हालांकि आठ महीने के अल्प समय में ही कौशल किशोर ने सरकार से किनारा कर लिया।

वर्ष 2007 में उन्होने फिर विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन उन्हे फिर हार नसीब हुयी। 2009 में मलिहाबाद विधानसभा उपचुनाव और 2012 के विधानसभा चुनाव में भी उन्हे हार का सामना करना पड़ा। आखिरकार 2013 में उन्होने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सदस्यता ग्रहण की और अगले ही साल उन्हे मोदी लहर में पहली बार संसद की दहलीज लांघने का अवसर मिला जबकि 2019 के चुनाव में वह एक बार फिर मोहनलालगंज के सांसद चुने गये।

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