लखनऊ। यूपी में भगवान परशुराम को लेकर सियासत जोर पकड़ने लगी है। समाजवादी पार्टी द्वारा लखनऊ में भगवान परशुराम की 108 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित करने की घोषणा के बाद अब यूपी कांग्रेस की तरफ से परशुराम जयंती पर छुट्टी बहाल करने की मांग की गई है। समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान परशुराम जयंती पर छुट्टी घोषित की गई थी लेकिन बाद में योगी सरकार ने राज्य में महापुरुषों की जयंती पर होने वाली छुट्टियों को रद्द कर उस दिन उन्हें याद करने के लिए कार्यक्रम करने के निर्देश दिए थे।
कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद ने सीएम योगी को पत्र लिख कहा, “भगवान परशुराम विष्णु जी की छठे अवतार हैं, जिस वजह से वो ब्राह्मण समाज की आस्था के प्रतीक हैं। अबतक ब्राह्मण समाज की आस्था के प्रतीक के भगवान परशुराम जी की जयंती पर हर साल राजकीय अवकाश होता रहा है लेकिन आपकी सरकार ने इस निरस्त कर दिया है, जिससे ब्राह्मण समाज में आक्रोश है।”
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इससे पहले समाजवादी पार्टी ने घोषणा की थी कि वो लखनऊ में भगवान परशुराम की 108 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित करेगी और एक शैक्षिक अनुसंधान केंद्र के अलावा एक भव्य मंदिर भी बनाया जाएगा। समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व मंत्री अभिषेक मिश्रा ने कहा कि अभी परियोजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है और ‘परशुराम चेतना पीठ’ परियोजना की देखरेख करेगा जो कि जनसहयोग के माध्यम से पूरा होगा।
उन्होंने कहा, “मैं सपा का हिस्सा हूं और यह स्पष्ट है कि पार्टी परियोजना का एक हिस्सा है। दावों के विपरीत, सपा ब्राह्मण समुदाय से विमुख नहीं है। वह अखिलेश यादव सरकार थी, जिसने परशुराम जयंती पर अवकाश घोषित किया था और इसे बाद में योगी आदित्यनाथ सरकार ने रद्द कर दिया था।” मिश्रा ने कहा कि वह अखिलेश सरकार ही थी, जिसने लखनऊ में जनेश्वर मिश्र पार्क का निर्माण किया था और पार्क में ब्राह्मण नेता की बड़ी से बड़ी प्रतिमा स्थापित की थी।
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विकास दुबे एनकांउटर के बाद ब्राह्मणों को लुभाने के लिए शुरू हुई राजनीति में बसपा भी पीछे नहीं है। मायावती ने रविवार को घोषणा की कि जब उनकी पार्टी सत्ता में आएगी, तो वह परशुराम की ‘बड़ी’ प्रतिमा स्थापित करेगी। उन्होंने कहा, अगर सपा को परशुराम की चिंता है, तो उन्हें सत्ता में रहते हुए उनकी मूर्ति स्थापित करनी चाहिए थी।