नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल का मंगलवार को निधन हो गया है। सेानिया गांधी के बेहद करीबी नेता अहमद पटेल का निधन होने से पार्टी को बड़ा झटका लगा है। अहमद पटेल पिछले एक महीने से कोरोना पॉजिटिव थे। ये झटका ऐसे समय में लगा है जब पार्टी के अंदर घमासान मचा हुआ है। कांग्रेस को हमेशा संकट से निकालने वाले संकटमोचन पटेल हमेशा सक्रिय भूमिका में रहते थे। पटेल 2001 से सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार रहे। वर्ष 2004 और 2009 में हुए चुनाव में पार्टी को मिली जीत का श्रेय भी पटेल को ही दिया जाता है।
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निचले स्तर से की थी राजनीतिक करियर की शुरुआत
उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत गुजरात के भरूच में हुए नगरपालिका के चुनाव से 1976 में हुई थी। इसके बाद वो यहां की नगरपालिक के सभापति बने। बाद में उन्होंने कांग्रेस का हाथ थाम और धीरे-धीरे उनकी राजनीति को एक नया मुकाम मिलता चला गया। उनके राजनीतिक कद का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि कांग्रेस में प्रवेश के 9 वर्ष बाद ही कांग्रेस ने उन्हें गुजरात के पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप दी थी। इंदिरा गांधी के शासन में लगे आपातकाल के बाद जब 1977 में दोबारा आम चुनाव हुए तो पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था। इसके बावजूद पटेल की राजनीतिक जमीन इस कदर मजबूत थी कि उन्होंने इस चुनाव में जीत हासिल की और कांग्रेस के टिकट पर पहली बार लोकसभा पहुंच गए। पटेल तीन बार (1977, 1980,1984) लोकसभा सदस्य और पांच बार (1993,1999, 2005, 2011, 2017) राज्यसभा सांसद रहे। वर्तमान में वो राज्यसभा सदस्य थे।
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इंदिरा गांधी के भी रहे करीबी
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद जब राजीव गांधी सत्ता में आए तो 1985 में उन्होंने पटेल को अपना संसदीय सचिव नियुक्त किया। 1987 में उन्होंने बतौर सांसद सरदार सरोवर प्रोजेक्ट की निगरानी के लिए बनाई गई नर्मदा मैनेजमेंट ऑथरिटी के गठन में अहम भूमिका निभाई थी। 1988 में उन्हें जवाहर भवन ट्रस्ट का सचिव नियुक्त किया गया। नई दिल्ली स्थित इस भवन का निर्माण पटेल की ही निगरानी में हुआ था। उनके राजनीतिक करियर के लिए ये एक मील का पत्थर भी कहा जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि ये प्रोजेक्ट काफी समय से ठंडे बस्ते में था। पटेल के जिम्मेदारी संभालते ही उन्होंने इसको महज एक साल के अंदर ही पूरा कर दिखाया। इसके बाद पार्टी के अंदर उनका राजनीतिक कद तो बढ़ा ही साथ ही कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के साथ भी उनकी नजदीकी बढ़ती चली गई। इस भवन को तकनीकी रूप से आगे करने का भी श्रेय पटेल को ही दिया जाता है। इस भवन का निर्माण कांग्रेस सांसद और पार्टी सदस्य के पैसे से किया गया था।