मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बीच बीजेपी की बड़ी नेता और पूर्व विधायक पूनम महाजन (Poonam Mahajan ) ने पिता प्रमोद महाजन की हत्या को लेकर सनसनीखेज दावा किया है। पूनम ने कहा कि उनके पिता की हत्या एक बड़ी साजिश थी, जो कभी न कभी सामने आएगी। पूनम ने दावा किया कि प्रमोद महाजन की हत्या पैसे या ईर्ष्या के लिए नहीं की गई। उन्होंने कहा कि पिता की हत्या के पीछे कोई पारिवारिक कारण नहीं था। प्रमोद महाजन की 2006 में उनके भाई प्रवीण महाजन ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। 18 साल बाद, पूनम के बयान से प्रमोद महाजन हत्याकांड फिर चर्चा में आ गया है।
एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में पूनम महाजन (Poonam Mahajan ) से उनके पिता की हत्या को लेकर सवाल किया था। जवाब में पूनम ने कहा कि वह गोली किसी एक आदमी का गुस्सा और ईर्ष्या नहीं थी। मैं हमेशा कहती हूं कि इसके पीछे एक बड़ी साजिश थी। आज, कल या परसों हमें पता चल जाएगा कि साजिश क्या थी। उससे आपको पता चल जाएगा कि ऐसा क्यों हुआ? दोनों भाइयों के बीच कोई झगड़ा नहीं था। ऐसा पहली बार हुआ है कि महाजन परिवार के किसी सदस्य ने प्रमोद महाजन की हत्या के पीछे षड्यंत्र की बात उठायी है। पूनम महाजन ने कहा है कि वह अपने पिता की हत्या की नये सिरे से जांच के लिए गृहमंत्री अमित शाह से अनुरोध करेंगी।
पूनम (Poonam Mahajan ) ने कहा कि 2006 में जब यह घटना हुई उस समय, वह अपने संदेह को व्यक्त करने की स्थिति में नहीं थीं, लेकिन अपने पिता की मौत के आसपास की परिस्थितियों को लेकर उनके मन में हमेशा संदेह रहा। अब जब उनकी पार्टी केंद्र और राज्य दोनों में सत्ता में है, तो उन्होंने वह अमित शाह और देवेंद्र फड़नवीस को पत्र लिखकर सच्चाई को उजागर करने के लिए व्यापक जांच का अनुरोध करेंगी।
प्रमोद महाजन हत्याकांड की पूरी कहानी
22 अप्रैल, 2006 की सुबह के करीब 7.30 बजे प्रमोद महाजन अपने वर्ली (मुंबई) के पूर्णा गोदावरी अपार्टमेंट वाले घर के ड्रॉइंग रूम में बैठे थे। टीवी पर कोई न्यूज़ चैनल लगा था, उसकी आवाज आ रही थी। सामने टेबल पर चाय रखी थी और महाजन के हाथों में उस दिन का अखबार था। दरवाजे पर दस्तक होती है। प्रमोद की पत्नी रेखा, बेडरूम से निकलती हैं और दरवाजा खोलती हैं। सामने जींस और टी-शर्ट पहने उनका देवर – प्रमोद का छोटा भाई – प्रवीण महाजन खड़ा था।
दोनों भाइयों में कुछ खास नहीं बनती थी, लेकिन छोटा भाई दरवाजे पर आए तो बड़ा भाई कैसे दरवाजा बंद कर ले। रेखा ने गेट खोला और प्रवीण भीतर आ गया। प्रमोद इत्मीनान से अब भी अखबार पढ़ने में मशगूल थे। प्रवीण उनके सामने पड़े सोफे पर बैठ गया और रेखा चाय बनाने किचन में चली गईं। प्रमोद ने प्रवीण को देखा तो पूछ बैठे कि यहां क्यों आए हो?
एक दिन पहले ही, प्रवीण ने प्रमोद को एक मैसेज भेजा था- अब न होगी याचना, न प्रार्थना, अब रण होगा, जीवन या मरण होगा। अगले दिन सुबह वह उनके सामने बैठकर शिकायतों का अंबार लगाए जा रहा था। तब की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रवीण ने दुखड़ा रोया कि बड़े भाई ने कभी उसकी मदद नहीं की. जब प्रवीण चुप न हुआ तो प्रमोद ने कहा कि अगर उसे शिकायत है तो अप्वॉइंटमेंट लेकर आए। इसके बाद फ्लैट में गोलियों की तड़तड़ाहट गूंज उठी।
‘प्रवीण, ये तुमने क्या किया?
रेखा भागी-भागी ड्राइंग रूम में आईं। प्रवीण के हाथों में पिस्टल थी और सामने सोफे पर खून से लथपथ प्रमोद महाजन पड़े थे। रेखा चीख उठीं- प्रवीण, ये तुमने क्या किया! उन्होंने प्रवीण को धक्का दिया तो वह वहां से चला गया। रेखा रोते-बिलखते अपार्टमेंट के 12वें फ्लोर की ओर भागीं। वहां उनके भाई और बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे रहते थे। दोनों फौरन वापस आए तो पाया प्रमोद होश में थे लेकिन उनकी हालत बिगड़ रही थी। तब तक शोर सुनकर भीड़ जमा होने लगी थी।
प्रमोद महाजन को उनके दामाद की कार में हिंदुजा अस्पताल ले जाया गया। खबर पूरे देश में फैल चुकी थी। महाजन बीजेपी के संकटमोचक नेता थे, लिहाजा अस्पताल में VIPs पहुंचने लगे। उधर, भाई को गोलियां मारने के बाद प्रवीण ने वर्ली थाने पहुंचकर सरेंडर कर दिया था। प्रमोद का अगले 13 दिन तक इलाज चला, उन्हें बचाने की खूब कोशिशें हुईं लेकिन 3 मई 2006 को उन्होंने दम तोड़ दिया।
प्रवीण के खिलाफ प्रमोद की हत्या का मुकदमा चला। 2007 में प्रवीण को भाई की हत्या के लिए उम्रकैद की सजा सुनाई गई। सजा काटते हुए, 2010 में प्रवीण महाजन की ब्रेन हेमरेज से मौत हो गई थी।