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भारत में गरीब सपने देख सकते हैं, मेरा राष्ट्रपति बनना इसका प्रमाण है: द्रौपदी मुर्मू

draupadi murmu

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नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) ने सोमवार को संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में भारत के 15वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण के बाद समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रपति के पद तक पहुंचना उनकी व्यक्तिगत नहीं बल्कि भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है।

समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुर्मू (Draupadi Murmu) ने कहा कि वह देश की ऐसी पहली राष्ट्रपति भी हैं जिसका जन्म आजाद भारत में हुआ है। उनका चुनाव इस बात का प्रमाण है कि भारत में गरीब सपने देख सकते हैं और उन्हें सच भी कर सकते हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि वह ओडिशा के एक छोटे से आदिवासी गांव से आती हैं। वह जिस पृष्ठभूमि से हैं वहां प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करना भी एक सपने जैसा था। लेकिन अनेक बाधाओं के बावजूद दृढ़ संकल्प के चलते वह कॉलेज जाने वाली अपने गांव की पहली बेटी बनीं। उन्होंने कहा कि वह जनजातीय समाज से हैं और वार्ड पार्षद से लेकर भारत की राष्ट्रपति बनने तक का अवसर मिला है। उन्होंने इसका श्रेय देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को देते हुए कहा कि ये लोकतंत्र की ही शक्ति है कि उसमें एक गरीब घर में पैदा हुई बेटी, दूर-सुदूर आदिवासी क्षेत्र में पैदा हुई बेटी, भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंच सकती है।

द्रौपदी मुर्मू ने ली शपथ, बनी देश की 15वें राष्ट्रपति

उन्होंने (Draupadi Murmu)  कहा, “राष्ट्रपति के पद तक पहुंचना, मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, ये भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है। मेरा निर्वाचन इस बात का सबूत है कि भारत में गरीब सपने देख भी सकता है और उन्हें पूरा भी कर सकता है।” राष्ट्रपति ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि सदियों से वंचित रहे गरीब, दलित, पिछड़े तथा आदिवासी उनमें अपना प्रतिबिंब देख रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि इस निर्वाचन में देश की करोड़ों महिलाओं और बेटियों के सपनों और सामर्थ्य की झलक है।

राष्ट्रपति ने समस्त देशवासियों को, विशेषकर भारत के युवाओं को तथा महिलाओं को ये विश्वास दिलाया कि इस पद पर कार्य करते हुए उनके हित सर्वोपरि होंगे। उन्होंने कहा कि युवा न केवल अपने भविष्य पर ध्यान दें बल्कि देश के भविष्य की नींव भी रखें। राष्ट्रपति के रूप में उन्हें मेरा पूरा समर्थन है। राष्ट्रपति ने युवा पीढ़ी को आगे बढ़ने में पूर्ण समर्थन का आश्वासन देते हुए कहा कि उनके इस निर्वाचन में पुरानी लीक से हटकर नए रास्तों पर चलने वाले भारत के आज के युवाओं का साहस भी शामिल है। ऐसे प्रगतिशील भारत का नेतृत्व करते हुए वह खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही हैं।

द्रौपदी मुर्मू 25 जुलाई को शपथ ग्रहण करने वालीं 10वीं राष्ट्रपति होंगी

राष्ट्रपति मुर्मू (Draupadi Murmu)  ने देश में समावेशी और तीव्र विकास के लिए हाशिए पर पड़े लोगों के उत्थान की दिशा में काम करने के अपने संकल्प को दोहराया।

कारगिल विजय दिवस (26 जुलाई) के उपलक्ष्य में राष्ट्रपति ने कहा कि यह दिन हमारे सशस्त्र बलों की शौर्य और संयम का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि देश की सेनाओं को तथा देश के समस्त नागरिकों को कारगिल विजय दिवस की अग्रिम शुभकामनाएं देती हूं।

राष्ट्रपति मुर्मू ने बताया कि उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत उस समय की थी जब देश अपनी आजादी की 50वीं वर्षगांठ मना रहा था और अब 75वें वर्ष में उन्हें राष्ट्रपति का नया दायित्व मिला है। उन्होंने कहा कि ऐसे ऐतिहासिक समय में भारत अगले 25 वर्षों के विजन को हासिल करने के लिए पूरी ऊर्जा से जुटा हुआ है और मुझे ये जिम्मेदारी मिलना मेरा बहुत बड़ा सौभाग्य है। उन्होंने कहा कि इन 25 वर्षों में अमृतकाल की सिद्धि का रास्ता सबका प्रयास और सबका कर्तव्य दो पटरियों पर आगे बढ़ेगा।

द्रौपदी मुर्मू: दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की पहली आदिवासी राष्ट्रपति

उन्होंने कहा कि भारत आज हर क्षेत्र में विकास के नए आयाम जोड़ रहा है। कोरोना महामारी के वैश्विक संकट का सामना करने में भारत ने जिस तरह का सामर्थ्य दिखाया है, उसने पूरे विश्व में भारत की साख बढ़ाई है। कुछ ही दिन पहले भारत ने कोरोना वैक्सीन की 200 करोड़ डोज़ लगाने का कीर्तिमान बनाया है। इस पूरी लड़ाई में भारत के लोगों ने जिस संयम, साहस और सहयोग का परिचय दिया, वो एक समाज के रूप में हमारी बढ़ती हुई शक्ति और संवेदनशीलता का प्रतीक है।

राष्ट्रपति ने कहा कि एक संसदीय लोकतंत्र के रूप में 75 वर्षों में भारत ने प्रगति के संकल्प को सहभागिता एवं सर्व-सम्मति से आगे बढ़ाया है। विविधताओं से भरे अपने देश में हम अनेक भाषा, धर्म, संप्रदाय, खान-पान, रहन-सहन, रीति-रिवाजों को अपनाते हुए ‘एक भारत – श्रेष्ठ भारत’ के निर्माण में सक्रिय हैं।

इससे पहले, भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में नव-निर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद की शपथ दिलाई। उन्होंने हिन्दी में शपथ ली। वह देश की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति हैं।

समारोह में उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, मंत्रिपरिषद के सदस्य, राज्यपालगण, मुख्यमंत्रीगण, राजनयिक मिशनों के प्रमुख, संसद सदस्यगण और सरकार के प्रमुख नागरिक और सैन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

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