नई दिल्ली. बेल्जियम के आल्स्तो शहर के एक अस्पताल में एक महिला में कोरोना के दो अलग-अलग वैरिएंट से संक्रमित मिली। महिला बार-बार अपना संतुलन खोकर गिर रही थी। हालांकि उसकी सांस ठीक चल रही थी। ऑक्सीजन लेवल भी 94% से ज्यादा था। कुछ घंटों बाद ही उसके फेफड़े तेजी से बेकार होने लगे और पांचवें दिन उसकी मौत हो गई। महिला कोरोना के अल्फा और बीटा वैरिएंट से संक्रमित थी। इन दोनों को WHO दिसंबर 2020 में “वैरिएंट ऑफ कन्सर्न” घोषित कर चुका है।
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दुनिया का पहला मामला
दरअसल, यह दुनिया का पहला ऐसा मामला है जिसमें किसी को दो वैरिएंट से यानी डबल इंफेक्शन हुआ। साइंटिस्ट इसे कोरोना का एक नया प्रकार मान रहे हैं। पिछले शनिवार को यूरोपियन कांग्रेस ऑफ क्लिनिकल माइक्रो-बायोलॉजी एंड इंफेक्शियस डिजीज में साइंटिस्ट्स ने इस अनोखे मामले पर चर्चा की। एक्सपर्ट्स का कहना था कि डबल इंफेक्शन को लेकर दुनिया को अलर्ट रहने की जरूरत है। भारत के लिए यह केस दो वजहों से बेहद खास है। पहली-हमारे देश में डेल्टा, डेल्टा प्लस, लैम्ब्डा और कप्पा जैसे वैरिएंट एक्टिव हैं और दूसरी- भारत वैरिएंट के प्रकार की जांच करने, यानी जीनोम सीक्वेंसिंग में काफी पिछड़ा हुआ है।
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कोई लक्षण नहीं, ऑक्सीजन लेवल भी अच्छा
90 साल की इस महिला की कोई खास मेडिकल हिस्ट्री नहीं थी, यानी उसे दूसरी बीमारियां नहीं थीं। महिला अकेली रहती थी और घर पर नर्सिंग केयर लेती थी। शुरुआत में उसे सांस लेने में कोई दिक्कत नहीं थी। उनके शरीर में ऑक्सीजन लेवल भी अच्छा था। उसे दो वैरिएंट्स से इंफेक्शन कैसे हुआ, यह भी साफ नहीं। महिला को कोरोना वैक्सीन नहीं लगी थी।
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दो अलग-अलग लोगों से हुआ इंफेक्शन
यूरोपियन कांग्रेस ऑफ इंफेक्शियस डिजीज में इस मामले पर रिपोर्ट बनाने की अगुआई करने वाली डॉ. ऐनी वेंकीरबर्गेन का कहना है कि चूंकि अल्फा और बीटा वैरिएंट बेल्जियम में फैले हुए हैं, इसलिए इस बात की पूरी संभावना है कि महिला दो अलग-अलग लोगों से संक्रमित हुई होगी।
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दो वैरिएंट्स वाला कोरोना कितना गंभीर?
साइंटिस्ट्स का कहना है कि किसी एक मरीज में दो वैरिएंट मिलने से कोरोना के गंभीर होने की आशंका है, मगर इस इस दावे पर पक्की मुहर लगाने के लिए अभी और रिसर्च होना बाकी है।
बेल्जियम मामले की केस रिपोर्ट बनाने की अगुआई करने वाली डॉ. ऐनी वेंकीरबर्गेन का कहना है कि बेल्जियम की इस महिला की हालत बिगड़ने में दो वैरिएंट की भूमिका के बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है। अब तक ऐसा कोई दूसरा केस सामने नहीं आया है। जीनोम सीक्वेंसिंग कम होने के कारण डबल वैरिएंट के असर पर बेहद कम रिसर्च हुई है।
वायरोलॉजिस्ट और इंग्लैंड की वारविक यूनिवर्सिटी में मॉलिक्यूलर ऑन्कोलॉजी के प्रोफेसर लॉरेंस यंग का कहना है कि यह पता करना बहुत जरूरी है कि “वैरिएंट ऑफ कन्सर्न” से इंफेक्टेड होने पर कोविड की गंभीरता पर और वैक्सीन की एफिकेसी पर क्या असर पड़ता है।
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स्वास्थ्य, इम्युनिटी तय करता है वायरस का लेवल – भारत
दिल्ली में इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी के पूर्व डायरेक्टर डॉ. वीएस चौहान ने एक इंटरव्यू में बताया कि किसी मरीज का गंभीर होना उसके स्वास्थ्य, इम्युनिटी और वायरस की मारक क्षमता से तय होता है, अलग-अलग तरह के वायरस से नहीं।