नई दिल्ली। ई-मेल, व्हाट्सएप व सोशल मीडिया के दौर में अप्रासंगिक हो रही डाक सेवा महामारी के समय सबसे बड़ी जीवन रक्षक साबित हुई। लॉकडाउन के समय जब पूरा भारत घरों में पाबंद था, तब डाक सेवा ने दवाइयों से लेकर मेडिकल किट तक अस्पतालों में पहुंचाई। डाककर्मी पोस्टल वैन के जरिए गांव-गांव पहुंचे, घर-घर जाकर लोगों को पैसे मुहैया कराए। इससे न सिर्फ संक्रमण रोकने में मदद मिली बल्कि हजारों लोगों की जान बचाई जा सकी।
लॉकडाउन हुआ तो डाककर्मी कोरोना योद्धा बन गए। टेस्टिंग किट से लेकर वेंटिलेटर तक पहुंचाने की बात हो या फिर घर-घर लोगों को पैसे पहुंचाने की, उन्होंने लोगों की खूब मदद की। अकेले लॉकडाउन के दौरान देशभर में एक हजार करोड़ रुपये से ज्यादा मनीआर्डर घर-घर पहुंचाया ताकि लोगों को बाहर न निकलना पड़े।
नकदी की होम डिलीवरी ने कई पेंशनभोगी लोगों को भारी राहत पहुंचाई। खासकर गंभीर रूप से बीमार लोगों की मदद की। इंडिया पोस्ट वैकल्पिक बैंकिंग प्रणाली के तौर पर उभरी। एक रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 20 हजार करोड़ से ज्यादा नकदी इसके तहत लोगों तक पहुंचाई गई। इसमें फिलहाल 30 करोड़ खाते हैं और ज्यादातर पेंशनभोगियों को डाकघरों के जरिए ही पेंशन मिलती है।
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चाणक्यपुरी पोस्ट ऑफिस में डाक सेवाओं के सहायक अधीक्षक अशोक कुमार कहते हैं कि हमारे पास मानव सेवा का यह सबसे बड़ा अवसर था। हमने पूरी ताकत झोंक दी। कई तरह की दिक्कतें थीं, लेकिन सभी कर्मचारियों को सैनिटाइजर, दस्ताने, मॉस्क जैसे उपकरण दिए।
लॉकडाउन में पार्सल समय पर पहुंच जाएं, इसके लिए डाक विभाग ने रोड ट्रांसपोर्ट नेटवर्क का विस्तार किया। मुख्य रूप से हावड़ा-झारखंड-बिहार को जोड़ा गया और 14 टन मेडिकल उपकरण अस्पतालों तक पहुंचाए गए। साथ ही सिर्फ आधार का सहारा लेते हुए छह लाख बार खातों से पैसे निकाले गए व लोगों तक पहुंचे। करीब 112.38 करोड़ रुपये का वितरण किया गया।
विशेष वाहन चलाकर अस्पताल और घरों में दवाइयां पहुंचाईं, वहीं पैसों की दिक्कत दूर करने के लिए ट्रांजेक्शन आधार अनेबल पेमेंट सिस्टम (एईपीएस) के तहत मोबाइल बैंकिग वैन चलाई। वैन के जरिए लोगों को घर जाकर वित्तीय सुविधा मुहैया करवाई। इसमें पेंशन वाले लोगों को विशेष लाभ मिला। फरीदाबाद डाक विभाग के सहायक अधीक्षक जितेंद्र कुमार राजन ने यह जानकारी दी।