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सर्दियों में निमोनिया की बीमारी से बच्चों को बचाने का जानें ये आसान उपाय

Pneumonia

Pneumonia

 निमोनिया बीमारी सुनने में तो आम-सी लगती हैं, लेकिन सही समय पर इसका इलाज न मिलने पर ये बीमारी जानलेवा भी साबित हो सकती हैं । इस बीमारी का सबसे ज्यादा खतरा बच्चों और वृद्ध व्यक्तियों में होता हैं। ये सांस से जुड़ी एक गंभीर बीमारी हैं, जिसमें फेफड़ों (लंग्स) में इन्फेक्शन हो जाता हैं।

अगर इसके लक्षण की बात करें तो आमतौर पर बुखार या जुकाम होने के बाद निमोनिया होता हैं। लेकिन कई बार यह खतरनाक भी साबित हो सकता हैं , खासकर 5 साल से छोटे बच्चों और 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में क्योंकि उनकी इम्युनिटी कम होती हैं। एक आंकड़े के मुताबिक दुनिया भर में होने वाली बच्चों की मौत में 18 फीसदी मौत निमोनिया की वजह से होती हैं।

इस गंभीर समस्या की गहराई को समझते हुए नीदरलैंड्स और स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी रॉयल फिलिप्स की सहायक कंपनी, फिलिप्स इंडिया ने आज भारत में बचपन में  निमोनिया के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक सीएसआर अभियान ‘हर सांस में जिंदगी ’ की शुरुआत की हैं।

इस अभियान का उद्देश्य बच्चों के माता-पिता और परिवार तक पहुँचना हैं, और बचपन में  निमोनिया की गंभीरता पर उन्हें संवेदनशील बनाना हैं।  निमोनिया 5 वर्ष की आयु तक के बच्चों में फैलाने वाले प्रमुख संक्रामक रोगों में से एक हैं, जो शिशुओं की मृत्यु का एक प्रमुख कारण भी हैं।

निमोनिया की बीमारी और उससे होने वाली मृत्यु, दोनों ही मामलों में विश्व स्तर पर भारत में सबसे अधिक मामले पाये जाते हैं। हर साल 30 मिलियन नए मामलों के साथ लगभग 1.5 लाख बच्चे निमोनिया के कारण अपनी जान गंवाते हैं। निमोनिया भारत में होने वाली सभी मृत्यु में लगभग छठे स्थान यानी 15% के स्तर पर है जिसमें अधिकतर मामले  पांच साल से कम उम्र के बच्चों के होते है। इस बीमारी के कारण हर चार मिनट में एक बच्चा अपनी जान गवां देता हैं।

एक संक्रमित रोग होने के कारण इसका समय पर इलाज़  करवाना आवश्यक हो जाता हैं। हालांकि, यह देश में अंडर-एडेड, अंडर-डायग्नोस्ड और अंडर-फंडेड हैं। संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य  3 के तहत फिलिप्स इंडिया इस बीमारी के योगदान के रूप में एक जागरूक अभियान चला रहा हैं। इसके फलस्वरूप बचपन में  निमोनिया के कारण होने वाली मृत्यु को कम करने में मदद करने के लिए, फिलिप्स इंडिया जागरूकता और इस बीमारी की रोकथाम के लिए प्रतिबद्ध है।

इस अभियान के माध्यम से, फिलिप्स इंडिया का उद्देश्य शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना हैं। जिसके लिए फिलिप्स अपने CSR अभियान ‘हर सांस में जिंदगी ’ को टीवी, रेडियो, प्रिंट, डिजिटल, सोशल मीडिया चैनल और ऑन-ग्राउंड जैसे कई माध्यमों की मदद से कई लोगों के बीच जागरुकता फैला रहा हैं।

फिलिप्स इंडियन सब कॉन्टिनेंट के वाइस चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर,  डैनियल मजॉन ने इस अभियान के बारे में बताते हुए कहा, “5 साल से कम उम्र के बच्चों में निमोनिया को रोकने की कुंजी जोखिम की पहचान कर रही हैं, और इसके निदान और उपचार के लिए माता-पिता और देखभाल करने वालों को शिक्षित कर रही हैं। फिलिप्स बच्चों में  निमोनिया के मामलों को कम करने और इस राष्ट्रव्यापी जागरूकता अभियान के माध्यम से भारत में इसके बोझ को कम करने में योगदान करने के लिए तत्पर हैं।

फिलिप्स इंडिया द्वारा लोगों के स्वास्थ्य में सुधार और स्वस्थ रहने और रोकथाम, निदान और उपचार से स्वास्थ्य निरंतरता में बेहतर परिणामों को सक्षम करने के लिए काम किया जा रहा हैं। ब्रांड के  इस प्रतिबद्धता के एक हिस्से के रूप में, कंपनी का उद्देश्य सामाजिक मुद्दों को एक फोकस के साथ संबोधित करना हैं, जिससे स्वास्थ्य सेवा सुलभ और सस्ती हो। इस तरह फिलिप्स इंडिया का ये अभियान न केवल लोगों को इस बीमारी के बारे में जागरूक करेगा बल्कि बच्चों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में भी सहयोग करेगा।

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